मेरा कमरा जानता है......
मैं कितनी भी लापरवाह रहूं पर
हर चीज को करीने से ही रखूंगी
कमरे का कोना कोना
बड़े ही प्यार से सजाऊंगी
मेरा कमरा जानता है.....
कि मैंने न जाने कितनी सारी
यादों को संजो के रखा है
न जाने कितनी बातें सांझा की है
मेरा कमरा जानता है..…
मेरे बचपन की कितनी खट्टी मीठी बातें
न जाने कितनी रातें मां के प्यार
दुलार,लोरियों के बिना काटी है
मेरा कमरा जानता है कि
मैं कितना रोई थी मां के जाने के बाद
मेरा तकिया भी मेरे साथ रोता है हर पल
हर तरफ बस मां की यादें हैं
मेरा कमरा जानता है .....
वो दादाजी और दादीजी की प्यार भरी बातें
मेरी हर ज़िद को पूरा करना
मां मारती तो दादी डांटती दादा दुलार करते
मेरा कमरा जानता है .......
हम भाई बहनो का आपस का जुड़ाव
वो लड़ना झगड़ना फिर एक हो जाना
एकदूसरे की गलतियों को छुपा लेना
मेरा कमरा ही जानता है..…
कितने अकेले हो गए हैं हम और हमारा कमरा
बस जुड़ी है सारी बातें , यादें ,वादे ,कसमें, झगड़े ,लोरिया,त्योहार, पागलपन सब कुछ
मेरा कमरा ही जानता है ...…
शकुंतला
अयोध्या (फैज़ाबाद)
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteजी शुक्रिया आदरणीय
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (11-04-2021) को "आदमी के डसे का नही मन्त्र है" (चर्चा अंक-4033) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सत्य कहूँ तो हम चर्चाकार भी बहुत उदार होते हैं। उनकी पोस्ट का लिंक भी चर्चा में ले लेते हैं, जो कभी चर्चामंच पर झाँकने भी नहीं आते हैं। कमेंट करना तो बहुत दूर की बात है उनके लिए। लेकिन फिर भी उनके लिए तो धन्यवाद बनता ही है निस्वार्थभाव से चर्चा मंच पर टिप्पी करते हैं।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
--
जी मयंक जी मैं जरूर उपस्थित रहुंगी 🙏🏻
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना आज शनिवार १० अप्रैल २०२१ को शाम ५ बजे साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन " पर आप भी सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद! ,
जी बहुत आभार आदरणीया श्वेता जी
Deleteमैं जरूर उपस्थित रहुंगी
मेरा कमरा जानता है...
ReplyDeleteसमय के साथ कितना तन्हा हो चला ,
कब, नव-चिलकारियों से फिर वो भरा
सुन्दर रचना
जी शुक्रिया आदरणीय 🌷
Deleteयादों के भंवर में डूबती -उतराती बेहतरीन रचना -भावबिम्ब सजीव -जी हाँ कमरे की दीवारें बोलती भी हैं सुनतीं हैं चहचहाती भी हैं ,हमारे संग रुदाली भी बनती हैं। दीवारों से एक माहौल की सृष्टि होती है-हमारे सुख की, अंतरंग क्षणों की साक्षी बनतीं हैं दीवारे -तुम कहते हो दीवारें सिर्फ दीवारें -वह कहता ज़िंदा शख्सियत ,संवेदना का स्रोत होती हैं हंसती बोलती गाती दीवारें ,मैं तो सिर्फ सहभावी बना हूँ सहभोक्ता भी आप भी सांझा करें दीवारों को बधाई दें आशीष दें शकुंतला जी की इस रचना को।
ReplyDeleteवीरुभाई (वीरेंद्र शर्मा )
veerubhai1947.blogspot.com
veerujan.blogspot.com
विशेष :आपकी यह रचना मैं ने राम राम भाई ब्लॉग पे सांझा की है पुनर्प्रकाशित की है।
मेरा कमरा जानता है......
मैं कितनी भी लापरवाह रहूं पर
हर चीज को करीने से ही रखूंगी
कमरे का कोना कोना
बड़े ही प्यार से सजाऊंगी
मेरा कमरा जानता है.....
कि मैंने न जाने कितनी सारी
यादों को संजो के रखा है
न जाने कितनी बातें सांझा की है
मेरा कमरा जानता है..…
मेरे बचपन की कितनी खट्टी मीठी बातें
न जाने कितनी रातें मां के प्यार
दुलार,लोरियों के बिना काटी है
मेरा कमरा जानता है कि
मैं कितना रोई थी मां के जाने के बाद
मेरा तकिया भी मेरे साथ रोता है हर पल
हर तरफ बस मां की यादें हैं
मेरा कमरा जानता है .....
वो दादाजी और दादीजी की प्यार भरी बातें
मेरी हर ज़िद को पूरा करना
मां मारती तो दादी डांटती दादा दुलार करते
मेरा कमरा जानता है .......
हम भाई बहनो का आपस का जुड़ाव
वो लड़ना झगड़ना फिर एक हो जाना
एकदूसरे की गलतियों को छुपा लेना
मेरा कमरा ही जानता है..…
कितने अकेले हो गए हैं हम और हमारा कमरा
बस जुड़ी है सारी बातें , यादें ,वादे ,कसमें, झगड़े ,लोरिया,त्योहार, पागलपन सब कुछ
मेरा कमरा ही जानता है ...…
शकुंतला
अयोध्या (फैज़ाबाद)
जी बहुत आभार आदरणीय
Deleteमेरी रचना को स्थान देने के लिए
मैं जरूर उपस्थित रहुंगी 🙏🏻
सुन्दर रचना
ReplyDeleteजी शुक्रिया आदरणीया 🙏🏻🌷
Deleteकितने अकेले हो गए हैं हम और हमारा कमरा
ReplyDeleteबस जुड़ी है सारी बातें , यादें ,वादे ,कसमें, झगड़े ,लोरिया,त्योहार, पागलपन सब कुछ
मेरा कमरा ही जानता है ...…
भावों से भरी लाज़बाब सृजन ,सादर नमन आपको
जी शुक्रिया आदरणीया,🙏🏻🌷
Deleteमैं और मेरा कमरा ..... यादों की धरोहर को संजोए रहता है ।। बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteजी बहुत शुक्रिया आदरणीया संगीता जी
Deleteजिस कमरे में आप रहते हैं वाकई उससे बहुत सारी यादें जुडी होती हैं...खट्टी मीठी छोटी बड़ी
ReplyDeleteबहुत सी यादें...
चलो उठो, बनो विजयी हार ना मानो तुम
बहुत आभार आदरणीय 🌼
Delete
ReplyDeleteBahut sunder Hai
Thank you bhai
Delete