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Sunday 8 July 2018

*खामोशी के पल*

*आसपास गूंज रही हैं खामोशी के पल
खामोशी की आवाज़
कोई आती नही आवाज़ हैं मेरे पास
इन्हीं खामोशियों से रहा हैं
शायद मेरा रिश्ता गहरा
जो रहा पास हमेशा
नही अब अपना कोई मेरा
खामोशी से रही और मिल जाऊँगी
मैं खामोशी से तुझमें
क्यों.............
खामोशी से तोड़ रहा मेरा प्यार
अपनी ही दी हुई कसमें*
*शकुंतला
फैज़ाबाद*

कहाँ खो गई हो तुम

कहाँ खो गई हो तुम.... आज भी मेरी नज़रे तुम्हें तलाशती हैं....... वो मासूम सी बच्ची खो गई कही जिम्मदारियों के बोझ से , चेहरे की रौनक, आँखों की...