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Thursday 21 January 2021

खालीपन क्या होता हैं कोई मां से पूछो ?

खालीपन क्या होता हैं?
ये किसी बूढ़ी मां से पूछो जो अपने बच्चों से मिलने की
आस लगाए दरवाज़े पर बैठे रास्ता निहारती रहती हैं
सोचती है क्या ये वही बच्चे हैं ?
जो हर वक्त मेरा पल्लू पकड़े
 मेरे आगे पीछे मां मां बोले घूमते रहते थे 
मैं एक एक निवाला लेकर उन्ही के
 आगे पीछे दौड़ा करती थी
आज एक एक निवाले के मैं तरस रही हूं
ये वही बच्चे हैं जिनके लिए
 मैने कई रातें जाग कर कटी हैं
बचपन में जिनकी टूटी फूटी बातों को भी 
मैं बड़ी आसानी से समझ लेती थीं आज मेरे से
बात करने में भी कतराते हैं 
बात बात पर चुप करा देते है
दिन भर में कितनी बार बच्चों के 
धूल मिट्टी में सने कपड़े उतारती पहनाती थी
आज मेरे ही कपड़ों से इन्हें 
बदबू आती हैं कई कई दिनों
 एक ही कपड़े में बीत जाते हैं
ये वही बच्चे हैं जिनको घुमाने ले जाने के लिए
रोज इनके पापा से लड़ाई करती थी
आज यहीं एक कोने में पड़े पड़े
तरसती हूं बाज़ार हाट जाने के लिए
ये बच्चे कह देते हैं क्या करोगी जा के वहां
और क्या क्या बताऊं मेरे बच्चों
क्या क्या किया हैं तुम्हारे लिए
 मैं बूढ़ी हो गई हूं........
अब तुमसे एक ही तम्मन्ना है मेरी
 मेरे बच्चों मुझे भी आकर मिलो
दुलार करो मुझे भी एक एक निवाला
अपने हाथों से खिलाओ 
मेरे भी बूढ़े जर्जर शरीर पर
कपड़े पहनाओ........
आओ मेरे पास आकर रहो
मुझसे बात करो 
कब ये प्राण परिंदा उड़ जाए
पता नहीं कब मेरी आंखे बंद हो जाए..
तुम्हारी ये बूढ़ी मां कब
मिट्टी में मिल जाय पता नहीं
आओ मेरे बच्चों....... आओ
इस बूढ़ी मां का खालीपन कुछ तो कम करो....
शकुंतला
अयोध्या (फैज़ाबाद)


Wednesday 20 January 2021

तुम से एक सवाल है मेरा ?

तुम से एक सवाल है मेरा?
यूं कब तक रूठे
 रहोगे तुम मुझसे
यूं कब तक इंतजार 
करती रहूंगी मैं तुम्हारा
मेरी हर आती जाती सांस
 सिर्फ़ पुकारती है तुम्हें
अब आ भी जाओ कहीं
 ये दिल धड़कने से
 मना न कर दे
न कराओ इतना इंतजार
 कहीं ये आंखे तेरे
 दरस के लिए खुली की
 खुली ही न रह जाएं
शकुंतला 
अयोध्या (फैज़ाबाद)

कहाँ खो गई हो तुम

कहाँ खो गई हो तुम.... आज भी मेरी नज़रे तुम्हें तलाशती हैं....... वो मासूम सी बच्ची खो गई कही जिम्मदारियों के बोझ से , चेहरे की रौनक, आँखों की...