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Wednesday 4 July 2018

इंद्रधनुषी हँसी

*तुम आये अधरों पर बंधी
इंद्रधनुषी हँसी
खिल गई, गालों पर
खिलाकर टेसू के फूल
साँसों में महुए की
महक घोल गए
प्रणय निवेदन नज़रों से
छलका कर
कंगन की खनक के बीच
बोल गए प्रेम गीत कानों में
इश्क का टीका लगाकर
माथे पर
चन्दन की खुशबू छोड़ गए
धानी चूनर धो गए
तुम आये अधरों पर बंधी
इंद्रधनुषी हंसी
खोल गए
CR@शकुंतला
      फैज़ाबाद*

कहाँ खो गई हो तुम

कहाँ खो गई हो तुम.... आज भी मेरी नज़रे तुम्हें तलाशती हैं....... वो मासूम सी बच्ची खो गई कही जिम्मदारियों के बोझ से , चेहरे की रौनक, आँखों की...