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Wednesday 24 February 2021

अजी सुनो देखो न !

अजी सुनो देखो न !
आज ये पूर्णमासी का चांद भी
कितनी तेजी से चमक रहा है 
जैसे कि वो भी खुश हो रहा है
हमारे मिलन का साक्षी बनकर
अजी सुनो देखो न!
आज ये पूर्णमासी का चांद भी
कितनी अटखेलियां कर रहा है
कभी बादलों के पीछे छिप जा रहा है
और झांक झांक के हमें निहारता है
अजी सुनो देखो न!
आज ये पूर्णमासी का चांद भी
हमें देख अपनी चांदनी की चमक
और भी तेजी से बढ़ा रहा है
जैसे वो भी हमें एक होता देखना चाहता हो
अजी सुनो देखो न!
आज ये पूर्णमासी का चांद भी
संग अपने पूरी तारों की
बारात लेकर आया है
हमें अकेला न महसूस हो ये जताने आया है
शकुंतला अयोध्या
 (फैज़ाबाद)

20 comments:

  1. भावनाओं से भरी अभिव्यक्ति शकुंतला जी।

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 25 फरवरी 2021 को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. जी बहुत आभार आदरणीया दी मेरी रचना को शामिल करने के लिए धन्यवाद
      मैं जरूर उपस्थित रहुंगी

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  3. Replies
    1. शुक्रिया आदरणीय मयंक जी

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  4. भावपूर्ण अति सुंदर रचना प्रिय शंकुतला जी।
    सादर।

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    1. जी शुक्रिय आदरणीया श्वेता जी🙏🌷

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  5. मन मोहती भावपूर्ण कृति..

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    1. धन्यवाद जिज्ञासा जी 🙏

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  6. सुंदर भावपूर्ण सृजन के लिए आपको शुभकामनाएँ। सादर बधाई।

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    1. शुक्रिया आदरणीय 🙏

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  7. Replies
    1. जी बहुत आभार आदरणीय

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  8. Replies
    1. जी शुक्रिया आदरणीय

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