जब खुशी मिली तो मुस्कुरा न सकें
ग़म मिलें तो आँसुू बहा न सकें
कोशिश तो बहुत की हाले दिल बताने की
बस दो लफ्ज़ ही जुबां पर हम ला न सके
सोचा चुप रह कर भी हम सबकुुुछ उन्हें समझा देगें
पर खामोशियों की जुबां वो समझ न सकें
नज़रें मिलाई तो वो रुठ गए
फिर नज़रें झुका कर उन्हें मना न सके
रुसवा वो हुए या हम पता नहीं
हम उनके वो हमारे सामने फिर आ न सके
©®@शकुंतला
फैज़ाबाद
ग़म मिलें तो आँसुू बहा न सकें
कोशिश तो बहुत की हाले दिल बताने की
बस दो लफ्ज़ ही जुबां पर हम ला न सके
सोचा चुप रह कर भी हम सबकुुुछ उन्हें समझा देगें
पर खामोशियों की जुबां वो समझ न सकें
नज़रें मिलाई तो वो रुठ गए
फिर नज़रें झुका कर उन्हें मना न सके
रुसवा वो हुए या हम पता नहीं
हम उनके वो हमारे सामने फिर आ न सके
©®@शकुंतला
फैज़ाबाद