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Saturday 16 February 2019

आखिर कब तक और क्यों

*आखिर कब तक और क्यों ?
रक्तरंजित होगा धरती माँ का सीना
हमारे वीर सपूतों से!
आखिर कब तक और क्यों?
यूँ ही हम सहते रहेंगे
इन नरभक्षी आतंकियों की दहशत को!
अब और नहीं बस बहुत हो गया
लेना होगा इंतकाम हमें
लेनी होगी भीष्म-प्रतिज्ञा
मिलकर हम सब भारतीयों को
जला के राख कर देंगे
मिटा कर रख देंगे वज़ूद
इन नरपिशाच आतंकियों का
अपनी इस मातृभूमि से
कर के रहेंगें भयमुक्त हम
अपनी भारत माता को
जय हिंद जय हिंद
शकुंतला
अयोध्या (फैज़ाबाद)*

दरख़्त पलाश का

सुनो......
याद है न तुम्हें
वो दरख़्त पलाश का
वो हमारी पहली
मुलाकात का गवाह.....
जब मैं... आप
हम
हो गए थे
हमारा प्यार
पलाश के फूलों
की तरह खिलने
लगा था......
तुम्हारी वो प्यार भरी
मीठी-मीठी बातें
कब मेरी आत्मा में
समा गई
कब .मैं.......मैं. न रही
मुझे पता ही नहीं चला
तुम्हारे प्यार का रंग
ऐसा चढ़ा मुझ पर
जैसे फाग में चढ़. जाता है
पलाश के फूलों का रंग
तुम्हरा प्यार पा कर
खिल उठी थी मैं
पलाश की तरह
बिन तेरे प्यार के
हूँ मैं अब लाश की तरह
सुनो......
चलो एक बार फिर
उसी .पलाश के दरख़्त
के तले
फिर से हम
एक नई शुरुआत करते हैं
जीवन की बगिया में
लाश के फूल खिलाते हैं
*शकुंतला
अयोध्या (फैज़ाबाद)*

जी करता है मेरा

जी करता है मेरा
किसी अनाथ बच्चे को अपना लूँ
जी करता है मेरा
न होने दूँ किसी भी माँ का स्वर्गवास
जी करता है मेरा
हर भूखें को दूँ अपना निवाला
जी करता है मेरा
सभी बुज़ुर्गों की बनू मैं लाठी
जी करता है मेरा
मिटा दूँ भेदभाव का विचार सबके मन से
जी करता है मेरा
लगा दूँ फाँसी मै इस फैलते आतँकवाद को
जी करता है मेरा
मार डालू अपने देश के हर दुश्मन को
जी करता है मेरा
आज़ाद कर दूं पिंजड़े के हर पँछी को
जी करता है मेरा
सभी के जीवन से मिटा दूँ गम भर दूँ खुशियों को
जी करता है मेरा
भर जाए अन्न के भंडार न हो मौत किसी की भूख से
जी करता हैं मेरा
हो सभी के दिल में इज़्ज़त सभी के लिए
जी करता है मेरा
संसार की हर बेटी बने माता पिता का सहारा
जी करता है मेरा
विश्व की समस्त नारी हो जाये इतनी सक्षम न हो मोहताज किसी पुरूष की
जी करता है मेरा
हो जाये धरती माँ का कोना कोना धानी रंग का न करे आत्महत्या किसान कोई भी
जी करता हैं मेरा
दूँ सज़ा ऐसी हर वहशी के वहशीपन को की महफूज़ हो जाये विश्व की समस्त नारियाँ
शकुंतला
अयोध्या(फैज़ाबाद)

कहाँ खो गई हो तुम

कहाँ खो गई हो तुम.... आज भी मेरी नज़रे तुम्हें तलाशती हैं....... वो मासूम सी बच्ची खो गई कही जिम्मदारियों के बोझ से , चेहरे की रौनक, आँखों की...