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Saturday 5 December 2020

यादों का सैलाब

ये शाम जब भी आती हैं
तेरी यादों का 
सैलाब उमड़ जाता हैं
और हम तेरी यादों के 
समुंदर में डूबते 
ही चले जाते हैं
तेरा इंतजार करते करते
कब भोर की 
पहली किरण 
मुझ पर पड़ी पता ही नहीं चला
तुम आओगे हमे है यकीन
इसी आशा में जी रही हूं मैं

Sunday 29 November 2020

तमन्ना थी

तमन्ना थी कि हमारा भी 
प्यार परवान चढ़ेगा
एक छोटा सा घर होगा
नन्हे नन्हे प्यारे से फूलों
से मन आंगन मेहकेगा
पर तुम तो चल दिए 
मेरा साथ छोड़ भारत 
माता की सेवा करने
उनका आंचल रक्तरंजित
कर उन्हे बचाने चल दिए
तुम तो दुनिया ही छोड़ के
CR@ शकुंतला अयोध्या ( फैज़ाबाद)

कहाँ खो गई हो तुम

कहाँ खो गई हो तुम.... आज भी मेरी नज़रे तुम्हें तलाशती हैं....... वो मासूम सी बच्ची खो गई कही जिम्मदारियों के बोझ से , चेहरे की रौनक, आँखों की...