ये शाम जब भी आती हैं
तेरी यादों का
सैलाब उमड़ जाता हैं
और हम तेरी यादों के
समुंदर में डूबते
ही चले जाते हैं
तेरा इंतजार करते करते
कब भोर की
पहली किरण
मुझ पर पड़ी पता ही नहीं चला
तुम आओगे हमे है यकीन
इसी आशा में जी रही हूं मैं
आज के युवा... बस उन्हें तो बाइक लड़की और हाथ में आईफोन बस इनकी मंजिल यही तक सीमित है....ये क्या जाने क्रांतिकारी क्या होता हैं 18 साल की छोट...