ये शाम जब भी आती हैं
तेरी यादों का
सैलाब उमड़ जाता हैं
और हम तेरी यादों के
समुंदर में डूबते
ही चले जाते हैं
तेरा इंतजार करते करते
कब भोर की
पहली किरण
मुझ पर पड़ी पता ही नहीं चला
तुम आओगे हमे है यकीन
इसी आशा में जी रही हूं मैं
कहाँ खो गई हो तुम.... आज भी मेरी नज़रे तुम्हें तलाशती हैं....... वो मासूम सी बच्ची खो गई कही जिम्मदारियों के बोझ से , चेहरे की रौनक, आँखों की...