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Saturday 5 December 2020

यादों का सैलाब

ये शाम जब भी आती हैं
तेरी यादों का 
सैलाब उमड़ जाता हैं
और हम तेरी यादों के 
समुंदर में डूबते 
ही चले जाते हैं
तेरा इंतजार करते करते
कब भोर की 
पहली किरण 
मुझ पर पड़ी पता ही नहीं चला
तुम आओगे हमे है यकीन
इसी आशा में जी रही हूं मैं

10 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 07 दिसम्बर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. शुक्रिया आदरणीय 🙏🌷🌷
      मै जरूर उपसिथ रहूंगी

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  2. Replies
    1. शुक्रिया आदरणीया

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  3. यादों का सैलाब ...

    अत्यंत भावपूर्ण रचना...बहुत सुंदर 🙏🌹🙏

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    1. शुक्रिया आपका आदरणीया 🌷🌷🌷

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  4. सुंदर सृजन।
    सादर

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    Replies
    1. बहुत आभार आदरणीया 🌷🌷🌷

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  5. आशा पर संसार जीवित है। उम्मीदों की लौ जगाये मन की भावपूर्ण दास्ताँ।

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