मैं जानती हूं कि
पहला निवाला मां
खिलाती हैं पर उस
निवाले का एक एक
दाना अनाज का
धरती मां से किसान
ही पैदा करता है
किसान हम सबकी
पालने वाली मां है
मैंअगर किसान को
मां का दर्जा दू
तो यह ग़लत नहीं होगा....
C@r शकुंतला अयोध्या ( फैज़ाबाद)
मेरा मन बहुत विचलित हो उठता है जब भी मैं कटे हुए पेड़ो को देखती हूं लगता है जैसे मेरा अंग किसी ने काट दिया हो बहुत ही असहनीय पीढ़ा होती हैं....
सच में शकुंतला जी, थोड़े शब्दों में बहुत बड़ी बात लिख दी आपने। धरती पुत्र किसान का अनथक कर्म ही समस्त जीवन का आधार है। वह हमारी माँ ही है। सार्थक रचना 👌👌
ReplyDeleteजी दी 💖🙏🌷
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