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Saturday 13 February 2021

उस चांद से पूछो ?

उस चांद से पूछो ?
तुम हर दिन घटते बढ़ते
क्यों रहते हो ?
कभी तो लगता हैं
हर दिन बढ़ रहा है प्यार तुम्हारा
फिर भ्रम टूटने लगता है 
तुम्हारे हर दिन घटने से 
कम होने लगता हैं प्यार तुम्हारा
क्यों प्यार तुम्हारा ऐसे
करवटे बदलता रहता है?
कभी तो पूरा दिखते हो
बरसाते हो असीम प्रेम मुझ पर
कभी तो एक दम हो जाते हो गायब
करके अंधकार जीवन मेरा.…..
शकुंतला अयोध्या (फैज़ाबाद)*

26 comments:

  1. दिल को छूती सुन्दर रचना..

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    1. शुक्रिया आदरणीय जिज्ञासा जी

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  2. वाह...
    बहुत ख़ूब

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    1. धन्यवाद आदरणीय वर्षा जी

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  3. प्रणय दिवस के अवसर पर सार्थक प्रस्तुति।

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    1. जी बहुत आभार आदरणीय मयंक जी

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  4. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 15 फ़रवरी 2021 को चर्चामंच <a href="https://charchamanch.blogspot.com/ बसंत का स्वागत है (चर्चा अंक-3978) पर भी होगी।

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    1. जी शुक्रिया आदरणीय रवींद्र जी
      मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत आभार

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  5. चांद के बिम्ब से प्रेम की समीक्षामय सुंदर रचना शकुंतला जी 🌹🙏🌹

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    1. जी शुक्रिया आदरणीया

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  6. प्रेम के उतार चढ़ाव को चाँद का बिम्ब देना अच्छा लगा । बेहतरीन अभिव्यक्ति ।

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    1. शुक्रिया आदरणीया संगीता जी

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    1. शुक्रिया आदरणीय दीदी

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  8. बहुत ही सुंदर

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  9. बहुत ही सुंदर सृजन।

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    1. शुक्रिया आदरणीय अनीता जी

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  10. अच्छी कविता |हार्दिक शुभकमनाएं

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    1. 🙏 शुक्रिया आदरणीय

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  11. बहुत सुंदर अंदाज़ में लिखी बेहतरीन रचना

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    1. शुक्रिया संजय जी

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  12. Replies
    1. जी शुक्रिया आदरणीय मनोज जी

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  13. बहुत सुन्दर रचना

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    1. जी शुक्रिया आदरणीय

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