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Saturday 13 February 2021

उस चांद से पूछो ?

उस चांद से पूछो ?
तुम हर दिन घटते बढ़ते
क्यों रहते हो ?
कभी तो लगता हैं
हर दिन बढ़ रहा है प्यार तुम्हारा
फिर भ्रम टूटने लगता है 
तुम्हारे हर दिन घटने से 
कम होने लगता हैं प्यार तुम्हारा
क्यों प्यार तुम्हारा ऐसे
करवटे बदलता रहता है?
कभी तो पूरा दिखते हो
बरसाते हो असीम प्रेम मुझ पर
कभी तो एक दम हो जाते हो गायब
करके अंधकार जीवन मेरा.…..
शकुंतला अयोध्या (फैज़ाबाद)*

Thursday 11 February 2021

ये रातें

बिन तेरे ये रातें भी बढ़ी अजीब सी हो जाती हैं
तुम साथ होते हो तो रात बातों में गुजर जाती हैं 
बिन तेरे ये रातें मुझे सोने ही नहीं देती हैं
तुम साथ होते हो तो तेरी बाहों के सिरहाना न जाने कब सुला देता हैं
बिन तेरे ये रातें मुझे चिढ़ाती हैं मुझे रूला जाती हैं
तुम साथ होते हो मेरे चेहरे की रौनक देख चांदनी भी शरमा जाती हैं
बिन तेरे ये रात रानी की महक भी बदबू सी लगती हैं
तुम साथ होते हो तो तेरे बदन की खुशबू रजनीगंधा सी हो जाती हैं
बिन तेरे ये रातें कांटों भरा बिचौना बन जाती हैं
तुम साथ होते हो तो फूलों की सेज बन जाती हैं
शकुंतला अयोध्या
 (फैज़ाबाद)

कहाँ खो गई हो तुम

कहाँ खो गई हो तुम.... आज भी मेरी नज़रे तुम्हें तलाशती हैं....... वो मासूम सी बच्ची खो गई कही जिम्मदारियों के बोझ से , चेहरे की रौनक, आँखों की...