Translate

Friday 24 August 2018

बेज़ान मृगनयनी आँखे

*ये कविता मेरी छोटी बहन को समर्पित हैं

उसके मन में जो सवाल उमड़ते होंगे उसकी कल्पना भी नहीं कर सकती

कोई पूछे उनसे जिनके होती नहीं हैं
आँखे...........
जन्म लिया बिटिया का मैंने
सबने देखा मुझे.....
तो कहा चाँद का टुकड़ा हैं
इसकी आंखे तो समुद्र जैसी गहरी हैं
मृगनयनी, कजरारी आंखे
चंचलता से भरी हुई आंखे
मां भी खुश हुई पापा भी निहाल हो गए
दीदी भी देखकर उछल पड़ी
बोली मेरी प्यारी छोटी....
धीरे धीरे बड़ी हुई लेकर
हजारों सपनें इन आँखों में
सोचा था आँखों की बनुँगी डॉक्टर
पर क्या पता था
क्या लिखा है नसीब में मेरे
हाय रे किस्मत का लेखा
हो गया मुझे ब्रेन ट्यूमर
धीरे धीरे मेरी जिंदगी अँधेरे में जाने लगी
ओ०टी०से बाहर आई तो
ट्यूमर तो निकल गया
पर साथ लेगया इन मृगनयनी आंखों की रोशनी
हो गया अंधेरा इन कजरारी आंखों में
दोस्त हुए सभी पराये
बस साथ दिया मेरे अपनो ने
दिया हौसला जीने का....
लेकिन....कैसे कहूँ
मैं अपने दिल का हाल
जो दुनिया थीं रंगीन मेरी
आज हो गई हैं अंधकारमय
हँसती हुँ हर सबके सामने
रोककर इन बेज़ान आँखों के आँसू
सोचती हूँ पापा दीदी को
कुछ पता न चले
पर वो जान ही लेते हैं मेरे हर दर्द
रहते हैं परेशान पापा हर वक़्त
ढूंढते रहते हैं इलाज मेरी आँखों का
दीदी मेरी हर लेती हैं मेरे सारे दुख
हर वक्त हँसाती रहती मुझको
लगकर सीने से उनके
भूल जाती हूँ दुख दर्द सब
उनकी आँखों से सारा संसार मैं देखती हूँ
पल पल साथ देने वाली मेरी अनुजा
रखती हैं मेरा ख़याल इतना
राह में मुझे लगे न ठोकर कोई
चलती हैं उंगली थाम के मेरी
जानती हूँ सब फिक्र करते हैं मेरी
अब इन्ही की आंखों से
हैं दुनिया मेरी रंगीन
अब तो मेरे स्वप्न
मेरे पापा दीदी बहनों की
आँखो से छलकते हैं
उन्हें लगता हैं मुझे पता नहीं चलेगा
मैं जानती हूँ मेरा जीवन संघर्षमय हैं
हे ईश्वर
भर देना सभी बेजान मृगनयनी आँखों में
ऐसा उजाला की
दुनिया मे न रह जाये कोई
और बेज़ान मृगनयनी आंखे*
*शकुंतला
फैज़ाबाद*

14 comments:

  1. अब तो मेरे स्वप्न
    मेरे पापा दीदी बहनों की
    आँखो से छलकते हैं
    उन्हें लगता हैं मुझे पता नहीं चलेगा
    मैं जानती हूँ मेरा जीवन संघर्षमय हैं
    हे ईश्वर
    भर देना सभी बेजान मृगनयनी आँखों में
    ऐसा उजाला की
    दुनिया मे न रह जाये कोई
    और बेज़ान मृगनयनी आंखे।।

    हे प्रभु।। हे प्रभु। सब ठीक करें। सबके साथ ठीक करें। आपकी बहिन के लिये अनंत शुभेक्षायें। आपने सारा दर्द कलम से उकेर दिया। अप्रतिम

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी धन्यवाद इतना स्नेह और आशीर्वाद देने के लिए

      Delete
  2. सच कहा बिना आँखों के दुनिया में एक कदम भी चलना मुश्किल है...उनकी तकलीफ की सिर्फ कल्पना की जा सकती है..नमन

    ReplyDelete
    Replies
    1. सही कहा आपने सखी.... मै उसका जीवन भर साथ दूँगी उसका सारा दर्द उसका हर लेना चाहती हूँ

      Delete
  3. बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  4. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक २७ अगस्त २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी शुक्रिया🌷
      मैं जरूर उपस्थित रहूंगी🌷

      Delete
  5. हृदय को गहरे तक भेद गई आपकी मर्मस्पर्शी रचना।
    अप्रतिम भाव बोध।

    ReplyDelete
  6. बहुत बढ़िया,
    बड़ी खूबसूरती से कही अपनी बात आपने.....

    ReplyDelete
    Replies
    1. 🌹धन्यवाद संजय जी

      Delete
  7. बहुत ही दिल को छू लेने वाली लाइनें है।

    ReplyDelete

कहाँ खो गई हो तुम

कहाँ खो गई हो तुम.... आज भी मेरी नज़रे तुम्हें तलाशती हैं....... वो मासूम सी बच्ची खो गई कही जिम्मदारियों के बोझ से , चेहरे की रौनक, आँखों की...