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Saturday, 1 September 2018

बैरी सजनवां

*बैरी भईल ई सावन के महीनवां
न बुझेला जियरा का हाल हो बैरी सजनवां
हर वकत तरसाये तड़फाये ला हो बैरी सजनवां
जब जब लगाईला सिन्दूरवा हो बैरी सजनवां
आवे ला तोहार याद ओ बैरी सजनवां
जब जब लगाईला माथे पर टिकुली हो सजनवां
मुहाँ चिढ़ावे ला आइनावां हो बैरी सजनवां
जब हम लगाई ला होंठो पर लाली हो सजनवां
याद आवे ला तोहरी बतियाँ हो बैरी सजनवां
हर पल बाझेला चूड़ियाँ से कँगनवा हो सजनवां
याद आवे ला तोहसे लड़ाइयां हो बैरी सजनवां
छन्नकेला हरपल ई हमार बैरी पायलिया
सतावेला तोहरी तरह हो बैरी सजनवां
ई बिछुआ काटेला हमार अंगुलिया
रुलावेला तोहरी तरह हो बैरी सजनवां
जब जब हम रचाईला हथवा में मेहनी हो सजनवां
चढ़ाला रंग गाढ़ा मोहब्बत के हो बैरी सजनवां
ई सोलह सृंगार कुछ न भा ला  हमें हो बैरी सजनवां
तोहरे बिना कुछ न सुझाला हो बैरी सजनवां
अब तो जावा हो हमार बैरी सजनवां
सतावेला ई बैरी सावनवां हो बैरी सजनवां**
*©®@शकुंतला**
       फैज़ाबाद*

17 comments:

  1. सुंदर रचना 👌👌

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    1. शुक्रिया आदरणीय

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  2. वाह!!सुंदर मनोभावों को दर्शाती रचना..।

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  3. बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना आदरणीया

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    1. 🌷धन्यवाद आदरणीया

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  4. रउरा के शुक्रगुजार बानि के हमार भोजपुरी कविता नीक लागल 🌷🌷

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  5. वाह!!! बहुत सुन्दर रचना ...शानदार

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    1. शुक्रिया प्रिय नीतू जी🌷

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  6. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक २ सितंबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. सादर नमस्कार शुक्रिया मैं जरूर उपस्थित रहूँगी

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  7. वाह ... बहुत ही सुंदर रचना

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  8. 🌷🌷शुक्रिया

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  9. दिल के सुंदर एहसास
    हमेशा की तरह आपकी रचना जानदार और शानदार है।

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    1. 🌷🌷शुक्रिया संजय जी आपकी प्रतिक्रिया से मन खुश हो गया

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अनुरोध

मेरा मन बहुत विचलित हो उठता है जब भी मैं कटे हुए पेड़ो को देखती हूं लगता है जैसे मेरा अंग किसी ने काट दिया हो बहुत ही असहनीय पीढ़ा होती हैं....