गर हौसला होता तो किनारे भी बहुत थे
तुफान मे तिनके के सहारे भी बहुत थे
ये बात अलग है कि तबज्जो न दी हमने
दिल खींचने के नजारे भी बहुत थे
कहने को हम जश्ने बहारो मे थे शामिल
महफ़िल मे मगर दर्द के मारे भी बहुत थे
हम साथ-साथ थे तो रास्ता भी था और मंजिल भी
उस वक्त तो हम जान से प्यारे भी बहुत थे
जीती हुई बाजी पे न इतराओ कि अक्सर
तुम इससे पहले इसी खेल में हारे भी बहुत थे
©®@शकुंतला
फैजाबाद
तुफान मे तिनके के सहारे भी बहुत थे
ये बात अलग है कि तबज्जो न दी हमने
दिल खींचने के नजारे भी बहुत थे
कहने को हम जश्ने बहारो मे थे शामिल
महफ़िल मे मगर दर्द के मारे भी बहुत थे
हम साथ-साथ थे तो रास्ता भी था और मंजिल भी
उस वक्त तो हम जान से प्यारे भी बहुत थे
जीती हुई बाजी पे न इतराओ कि अक्सर
तुम इससे पहले इसी खेल में हारे भी बहुत थे
©®@शकुंतला
फैजाबाद