किसे पता है धूल के इस नगर में
कहां मृत्यु वरमाला लिए खड़ी है
किसे ज्ञात है प्राणों की लौ छुपाए
चिता में छुपी कौन सी फुलझड़ी है
इसी से यहां पर हर राज जिंदगी का
न छुप रहा है ना खुल पा रहा है
पूजा के बिना आरती का यह दीपक
न बुझ पा रहा है ना जल पा रहा है
©®@शकुंतला
फैजाबाद
कहां मृत्यु वरमाला लिए खड़ी है
किसे ज्ञात है प्राणों की लौ छुपाए
चिता में छुपी कौन सी फुलझड़ी है
इसी से यहां पर हर राज जिंदगी का
न छुप रहा है ना खुल पा रहा है
पूजा के बिना आरती का यह दीपक
न बुझ पा रहा है ना जल पा रहा है
©®@शकुंतला
फैजाबाद
very nice
ReplyDeleteशुक्रिया नीतू जी
Deleteवाह क्या तंज कसा है आपने।
ReplyDeleteसकारात्मक क्रिटिसिजम।
सही है आज के समय में प्रदूषण जि का जंजाल बन गया है।
दिल्ली की दशा देखकर हमें और सरकार को यही लग रहा है......
"पूजा के बिना आरती का यह दीपक
न बुझ पा रहा है ना जल पा रहा है"
शुक्रिया प्रकाश जी
Delete