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Friday, 24 November 2017

हारे भी बहुत थे

गर हौसला होता तो किनारे भी बहुत थे
तुफान मे तिनके के सहारे भी बहुत थे

 ये बात अलग है कि तबज्जो न दी हमने
दिल खींचने के नजारे भी बहुत थे

कहने को हम जश्ने बहारो मे थे शामिल
महफ़िल मे मगर दर्द के मारे भी बहुत थे

हम साथ-साथ थे तो रास्ता भी था और मंजिल भी
उस वक्त तो हम जान से प्यारे भी बहुत थे

जीती हुई बाजी पे न इतराओ कि अक्सर
तुम इससे पहले इसी खेल में हारे भी बहुत थे
©®@शकुंतला
फैजाबाद

20 comments:

  1. जीती हुई बाजी पे न इतराओ कि अक्सर
    तुम इससे पहले इसी खेल में हारे भी बहुत थे
    very nice

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  2. वाह! सुन्दर ! जीवन की विभिन्न स्थितियों पर आपकी क़लम ख़ूब चलती है. लिखते रहिये. बधाई एवं शुभकामनायें.

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    1. शुक्रिया रविन्द्र जी बहुत बहुत आभार🌷

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  3. "गर हौसला होता तो किनारे भी बहुत थे
    तुफान मे तिनके के सहारे भी बहुत थे

    ये बात अलग है कि तबज्जो न दी हमने
    दिल खींचने के नजारे भी बहुत थे"

    Student life me carrier decide karne waqt aur uske baad ye sab khayaal jarur aata hai.

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  4. बिलकुल सही कहा प्रकाश जी

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  5. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 26 नवम्बर 2017 को साझा की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. बहुत बहुत आभार दी आपने मुझे इस लायक समझा🌻

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  6. सुप्रभात,बहुत ही प्यारी रचना,कलम का जादु अनवरत चलाते रहें...!शुभ दिवस ...!!!

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    1. शुक्रिया अनिता जी ,आप बहुत सुंदर लिखती हैं हम तो आपके दीवाने हो गए

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  7. सुन्दर। तुफान को तूफान कर लें ।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद सुशील जी

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  8. बहुत कोमल भाव उकेरे है आपने,बहुत सुंदर रचना।
    शुभकामनाएँ आपको।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया स्वेता जी आपको मेरी छोटी सी कोशिश पसन्द आई

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  9. प्रिय शकु-- आप की की लेखनी की कद्रदान हो गयी हूँ | अलग अलग तरह के हालात पर खूब पंक्तियाँ लिखी है -- वैसे तो सभी अच्छी हैं -- ये विशेष तौर पर उल्लेखनीय हैं ---
    हम साथ-साथ थे तो रास्ता भी था और मंजिल भी
    उस वक्त तो हम जान से प्यारे भी बहुत थे--
    बहुत बधाई आपको सार्थक रचना पर |

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया रेणू दी आपको मेरी कविता पसन्द आई मेरा मेहनत सार्थक हो गई🌷

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  10. बहुत ही सुन्दर....
    लाजवाब
    वाह!!!

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    1. सादर अभिवादन आपका दी

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  11. बहुत सुंदर रचना. हृदय को छू लेने वाली पंक्तियां. सादर

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    1. तहेदिल से शुक्रिया अपर्णा जी आपको मेरी कविता पसंद आई

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अनुरोध

मेरा मन बहुत विचलित हो उठता है जब भी मैं कटे हुए पेड़ो को देखती हूं लगता है जैसे मेरा अंग किसी ने काट दिया हो बहुत ही असहनीय पीढ़ा होती हैं....