गर हौसला होता तो किनारे भी बहुत थे
तुफान मे तिनके के सहारे भी बहुत थे
ये बात अलग है कि तबज्जो न दी हमने
दिल खींचने के नजारे भी बहुत थे
कहने को हम जश्ने बहारो मे थे शामिल
महफ़िल मे मगर दर्द के मारे भी बहुत थे
हम साथ-साथ थे तो रास्ता भी था और मंजिल भी
उस वक्त तो हम जान से प्यारे भी बहुत थे
जीती हुई बाजी पे न इतराओ कि अक्सर
तुम इससे पहले इसी खेल में हारे भी बहुत थे
©®@शकुंतला
फैजाबाद
तुफान मे तिनके के सहारे भी बहुत थे
ये बात अलग है कि तबज्जो न दी हमने
दिल खींचने के नजारे भी बहुत थे
कहने को हम जश्ने बहारो मे थे शामिल
महफ़िल मे मगर दर्द के मारे भी बहुत थे
हम साथ-साथ थे तो रास्ता भी था और मंजिल भी
उस वक्त तो हम जान से प्यारे भी बहुत थे
जीती हुई बाजी पे न इतराओ कि अक्सर
तुम इससे पहले इसी खेल में हारे भी बहुत थे
©®@शकुंतला
फैजाबाद
जीती हुई बाजी पे न इतराओ कि अक्सर
ReplyDeleteतुम इससे पहले इसी खेल में हारे भी बहुत थे
very nice
धन्यवाद नीतू जी
Deleteवाह! सुन्दर ! जीवन की विभिन्न स्थितियों पर आपकी क़लम ख़ूब चलती है. लिखते रहिये. बधाई एवं शुभकामनायें.
ReplyDeleteशुक्रिया रविन्द्र जी बहुत बहुत आभार🌷
Delete"गर हौसला होता तो किनारे भी बहुत थे
ReplyDeleteतुफान मे तिनके के सहारे भी बहुत थे
ये बात अलग है कि तबज्जो न दी हमने
दिल खींचने के नजारे भी बहुत थे"
Student life me carrier decide karne waqt aur uske baad ye sab khayaal jarur aata hai.
बिलकुल सही कहा प्रकाश जी
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 26 नवम्बर 2017 को साझा की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार दी आपने मुझे इस लायक समझा🌻
Deleteसुप्रभात,बहुत ही प्यारी रचना,कलम का जादु अनवरत चलाते रहें...!शुभ दिवस ...!!!
ReplyDeleteशुक्रिया अनिता जी ,आप बहुत सुंदर लिखती हैं हम तो आपके दीवाने हो गए
Deleteसुन्दर। तुफान को तूफान कर लें ।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सुशील जी
Deleteबहुत कोमल भाव उकेरे है आपने,बहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteशुभकामनाएँ आपको।
बहुत बहुत शुक्रिया स्वेता जी आपको मेरी छोटी सी कोशिश पसन्द आई
Deleteप्रिय शकु-- आप की की लेखनी की कद्रदान हो गयी हूँ | अलग अलग तरह के हालात पर खूब पंक्तियाँ लिखी है -- वैसे तो सभी अच्छी हैं -- ये विशेष तौर पर उल्लेखनीय हैं ---
ReplyDeleteहम साथ-साथ थे तो रास्ता भी था और मंजिल भी
उस वक्त तो हम जान से प्यारे भी बहुत थे--
बहुत बधाई आपको सार्थक रचना पर |
बहुत बहुत शुक्रिया रेणू दी आपको मेरी कविता पसन्द आई मेरा मेहनत सार्थक हो गई🌷
Deleteबहुत ही सुन्दर....
ReplyDeleteलाजवाब
वाह!!!
सादर अभिवादन आपका दी
Deleteबहुत सुंदर रचना. हृदय को छू लेने वाली पंक्तियां. सादर
ReplyDeleteतहेदिल से शुक्रिया अपर्णा जी आपको मेरी कविता पसंद आई
Delete