यू नहीं आँधियों से घबराइए
गीत जिंदगी का गुनगुनाते जाइये
देख कर हँसेंगी ये बेरहम दुनिया
आँसू आंख में न हरगिज़ लाइए
गुज़रेंगे लोग और भी इधर से
राह से काँटे हटाते जाइये
मंज़िल मिलेगी एक दिन ज़रूर आपको
कदम बस यूं ही बढ़ाते जाइये
सामना हो भी जाये गर दुश्मनों से तो
दोस्ती के रिश्ते हमेशा यूँ ही निभाते जाइये
ज़हरीली हुई हैं सुरा आजकल
आप निग़ाहों से पिलाते जाइये
ये बस्तियां भरी हैं नफरतों से
प्यार का सूरज यहाँ पर उगाईये
©®@शकुंतला फैज़ाबाद