*तुम आये अधरों पर बंधी
इंद्रधनुषी हँसी
खिल गई, गालों पर
खिलाकर टेसू के फूल
साँसों में महुए की
महक घोल गए
प्रणय निवेदन नज़रों से
छलका कर
कंगन की खनक के बीच
बोल गए प्रेम गीत कानों में
इश्क का टीका लगाकर
माथे पर
चन्दन की खुशबू छोड़ गए
धानी चूनर धो गए
तुम आये अधरों पर बंधी
इंद्रधनुषी हंसी
खोल गए
CR@शकुंतला
फैज़ाबाद*
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Wednesday 4 July 2018
इंद्रधनुषी हँसी
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कहाँ खो गई हो तुम
कहाँ खो गई हो तुम.... आज भी मेरी नज़रे तुम्हें तलाशती हैं....... वो मासूम सी बच्ची खो गई कही जिम्मदारियों के बोझ से , चेहरे की रौनक, आँखों की...
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पथ वरण करना सरल है, पथिक बनना ही कठिन है। दुख भरी एक कहानी सुनकर, अश्रु बहाना तो सरल है। बांध कर पलकों में सावन, मुस्कुराना ही कठिन है...
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नन्हे मुन्ने कोमल, चंचल, कच्ची मिट्टी से नौनिहालों को प्रेम,नैतिकता,संस्कार, ज्ञान की भट्टी में तपा कर जीवन रूपी नदियाँ में करती हूँ प्रवाह ...
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गांव जाते ही बचपन की सारी यादें आँखों के सामने आ जाती हैं दादा दादी का प्यार,दुलार दादा जी का मेरा पैर छू कर कहना हमार राजा आ गईल आपन बहनी ...
वाह वाह उम्दा दीदी
ReplyDeleteशुक्रिया प्रिय अनुजा
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteसाहृदय धन्यवाद
DeleteWah mam
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteचन्दन की खुशबू छोड़ गए
ReplyDeleteधानी चूनर धो गए
तुम आये अधरों पर बंधी
इंद्रधनुषी हंसी
खोल गए... वाह बहुत सुंदर रचना
बहुत शुक्रिया अनुराधा जी
Deleteवाह वाह आदरणीया
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत लाजवाब रचना 👌
शुक्रिया आँचल जी
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया लोकेश जी
Deleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 5 जुलाई 2018 को प्रकाशनार्थ 1084 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
बहुत बहुत आभार रविन्द्र जी आपको मेरी इंद्रधनुषी हँसी पसन्द आई
Deleteवाह!!बहुत खूबसूरत रचना।
ReplyDeleteशुक्रिया दी
Deleteवाह्ह...बेहद खूबसूरत शब्दों में गूँथी खुशबूदार रचना शकुंतला जी। बहुत सुंदर👌
ReplyDeleteशुक्रिया स्वेता जी
Deleteक्या खूब एहसास पिरोये आप ने। मन को भा गई आप की रचना। कमी निकालने के लिए कोई स्थान नहीं रखा ।
ReplyDelete🌸🌷🌻शुक्रिया
Deleteएक-एक लफ़्ज़ बहुत ही खूबसूरती के साथ बिल्कुल नपा सधा... श्रृंगार में रमणीयता की छौंक बहुत ही सुहानी है।
ReplyDelete...तुम आये अधरों पर बंधी
इंद्रधनुषी हंसी
खोल गए ... वाह बेहतरीन सृजन आदरणीया👌👌👌👏👏👏
🌹धन्यवाद
Deleteखूबसूरत इंद्रधनुषी रचना आदरणीया..
ReplyDelete🌺🌻धन्यवाद पम्मी जी
Deleteकोमल एहसासों की सुन्दर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteधन्यवाद राकेश जी🌷
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