*आसपास गूंज रही हैं खामोशी के पल
खामोशी की आवाज़
कोई आती नही आवाज़ हैं मेरे पास
इन्हीं खामोशियों से रहा हैं
शायद मेरा रिश्ता गहरा
जो रहा पास हमेशा
नही अब अपना कोई मेरा
खामोशी से रही और मिल जाऊँगी
मैं खामोशी से तुझमें
क्यों.............
खामोशी से तोड़ रहा मेरा प्यार
अपनी ही दी हुई कसमें*
*शकुंतला
फैज़ाबाद*
Translate
Sunday, 8 July 2018
*खामोशी के पल*
Jio our jeeney do
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
अनुरोध
मेरा मन बहुत विचलित हो उठता है जब भी मैं कटे हुए पेड़ो को देखती हूं लगता है जैसे मेरा अंग किसी ने काट दिया हो बहुत ही असहनीय पीढ़ा होती हैं....
-
नन्हे मुन्ने कोमल, चंचल, कच्ची मिट्टी से नौनिहालों को प्रेम,नैतिकता,संस्कार, ज्ञान की भट्टी में तपा कर जीवन रूपी नदियाँ में करती हूँ प्रवाह ...
-
पथ वरण करना सरल है, पथिक बनना ही कठिन है। दुख भरी एक कहानी सुनकर, अश्रु बहाना तो सरल है। बांध कर पलकों में सावन, मुस्कुराना ही कठिन है...
-
बिन कहे ही सब कुछ बोल जाते हैं उसके कंगन कानों में मीठी सी धुन सुना जाते हैं उसके कंगन दिल में अरमान आंखों को ख़्वाब दे जाते हैं उसके कंगन तन...
सुंदर रचना
ReplyDeleteशुक्रिया अनुराधा जी🌷
Deleteबहुत ही उम्दा
ReplyDeleteशुक्रिया लोकेश जी🌻
ReplyDelete🌷धन्यवाद अमित जी
ReplyDelete