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Wednesday, 20 January 2021

तुम से एक सवाल है मेरा ?

तुम से एक सवाल है मेरा?
यूं कब तक रूठे
 रहोगे तुम मुझसे
यूं कब तक इंतजार 
करती रहूंगी मैं तुम्हारा
मेरी हर आती जाती सांस
 सिर्फ़ पुकारती है तुम्हें
अब आ भी जाओ कहीं
 ये दिल धड़कने से
 मना न कर दे
न कराओ इतना इंतजार
 कहीं ये आंखे तेरे
 दरस के लिए खुली की
 खुली ही न रह जाएं
शकुंतला 
अयोध्या (फैज़ाबाद)

8 comments:

  1. Replies
    1. शुक्रिया आदरणीय 🙏🙏

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  2. कहीं ये आंखे तेरे
    दरस के लिए खुली की
    खुली ही न रह जाएं
    विकल मन की अनकही व्यथा की मार्मिक अभिव्यक्ति प्रिय शकू जी | ये उद्बोधन मन को छु गया |

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    Replies
    1. धन्यवाद आदरणीय दी आप की प्रतिक्रिया से मन प्रसन्न हो गया

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  3. Replies
    1. शुक्रिया संजय जी🌼

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अनुरोध

मेरा मन बहुत विचलित हो उठता है जब भी मैं कटे हुए पेड़ो को देखती हूं लगता है जैसे मेरा अंग किसी ने काट दिया हो बहुत ही असहनीय पीढ़ा होती हैं....