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Friday, 1 January 2021

तुम मेरे हो

तुम मेरे हो
ताउम्र मेरे ही रहोगे
मेरी आखिरी सांस तक
तुम मेरे हो
ताउम्र मेरे ही रहोगे
तुम लाख कोशिश कर लो
मुझसे दूर रहने की
तुम मेरे हो
ताउम्र मेरे ही रहोगे
मैं मर भी गई तो क्या हुआ
मुझे यकीन है
तुम मेरे हो
ताउम्र मेरे ही रहोगे
शकुंतला
अयोध्या (फैज़ाबाद)

18 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 21 दिसम्बर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. शुक्रिया आदरणीय दीदी माफ़ी चाहती हूं देर से ब्लॉग देखा
      मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत आभार आदरणीया

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  2. अत्यंत की प्रभावशाली प्रस्तुति। एक विश्वास और एक लगन का प्रकटीकरण, निराधार नहीं हो सकता।बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया शकुन्तला जी।

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    1. बहुत आभार आदणीय 🙏🙏

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  3. आमीन
    सदैव आपके ही रहेंगे

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    1. शुक्रिया आदरणीया 🙏🌷

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  4. सुंदर रचना।
    सादर।

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    1. शुक्रिया स्वेता जी 🌷🌷

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  5. मन का विश्वास हो तो ऐसा कि संदेह की कोई गुंजाइश ही ना रहे। निर्भीकता से अपनेपन का दावा करती साहसिक अभिव्यक्ति शकुंतला जी।

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    1. शुक्रिया रेनू दी

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  6. ताउम्र! बस!! बहुत बढ़िया!!!

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    1. शुक्रिया आदरणीय

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अनुरोध

मेरा मन बहुत विचलित हो उठता है जब भी मैं कटे हुए पेड़ो को देखती हूं लगता है जैसे मेरा अंग किसी ने काट दिया हो बहुत ही असहनीय पीढ़ा होती हैं....