तुम मेरे हो
ताउम्र मेरे ही रहोगे
मेरी आखिरी सांस तक
तुम मेरे हो
ताउम्र मेरे ही रहोगे
तुम लाख कोशिश कर लो
मुझसे दूर रहने की
तुम मेरे हो
ताउम्र मेरे ही रहोगे
मैं मर भी गई तो क्या हुआ
मुझे यकीन है
तुम मेरे हो
ताउम्र मेरे ही रहोगे
शकुंतला
अयोध्या (फैज़ाबाद)
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 21 दिसम्बर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteशुक्रिया आदरणीय दीदी माफ़ी चाहती हूं देर से ब्लॉग देखा
Deleteमेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत आभार आदरणीया
अत्यंत की प्रभावशाली प्रस्तुति। एक विश्वास और एक लगन का प्रकटीकरण, निराधार नहीं हो सकता।बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया शकुन्तला जी।
ReplyDeleteबहुत आभार आदणीय 🙏🙏
Deleteआमीन
ReplyDeleteसदैव आपके ही रहेंगे
शुक्रिया आदरणीया 🙏🌷
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteसुंदर रचना।
ReplyDeleteसादर।
शुक्रिया स्वेता जी 🌷🌷
Deleteसुंदर सृजन।
ReplyDeleteधन्यवाद 🌷🌷🌷
Deleteसुंदर सृजन
ReplyDeleteधन्यवाद 🌷🙏
Deleteमन का विश्वास हो तो ऐसा कि संदेह की कोई गुंजाइश ही ना रहे। निर्भीकता से अपनेपन का दावा करती साहसिक अभिव्यक्ति शकुंतला जी।
ReplyDeleteशुक्रिया रेनू दी
Deleteताउम्र! बस!! बहुत बढ़िया!!!
ReplyDeleteशुक्रिया आदरणीय
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