ये अमावास की अंधेरी रातें
चिराग़ों से रोशन होती हैं
ये चांद भी फिका पड़ जाता हैं
इन लरजते चिराग़ों के सामने
कहाँ खो गई हो तुम.... आज भी मेरी नज़रे तुम्हें तलाशती हैं....... वो मासूम सी बच्ची खो गई कही जिम्मदारियों के बोझ से , चेहरे की रौनक, आँखों की...
Thank you
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