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Thursday, 8 August 2019

हाय ये कैसी शर्त

पिता, पति,या पैसा
इसमें से किसी एक को चुनो
हाय ये कैसी शर्त रख दी आपने?
एक बार भी आपने सोचा नहीं
क्या होगा यह शर्त सुनकर
ज़रा सी भी न आई लज़्ज़ा आपको
हाय ये कैसी शर्त रख दी आपने?
सुनकर जैसे लगा
किसी ने कानों में गर्म शीशा ही डाल दिया हो
लगा जैसे कि अब कुछ बचा ही नहीं
मैं जैसे पथरा सी गई
आत्मा न तो शरीर का साथ दे थी
न ही मन काबू में था
हाय ये कैसी शर्त रख दी आपने?
नारी हूँ कुछ समझ नहीं पाती
यही समझ  रख दी इतनी बड़ी शर्त आपने
बुद्धिहीन, अबला समझ के
इतना बड़ा गर्त खोद दिया आपने?
बहुत सोचा पर समझ न आया
क्या करूं किससे कहूँ
अपने मन की व्यथा किसको सुनाऊ
सर्वप्रथम मैं एक बेटी हूँ
कैसे अपने जन्मदेने वाले विदुर पिता को
दर-दर भटकने के लिए त्याग दू हमेशा के लिए
जो पिता मेरा चेहरा देखकर
कोई भी शुभ काम करने निकलते
आज कैसे मैं हमेशा के लिए भुला दु चेहरा उनका
मेरे हर दुख में हिमालय की तरह अड़िग खड़े रहे
मुझे पढ़ा लिखाकर अपने पैरों पर खड़ा किया
मेरे सभी सपनों को अपना सपना मानकर पूरा किया
आखिर कैसे मैं परित्याग कर दूं
अपने लाचार विदुर पिता का
हाय ये कैसी शर्त रख दी आपने?
बेटी के बाद आज मैं एक पत्नी हूँ
एक पत्नी होने के नाते पति को छोड़ना
एक नारी के लिए मृत्युतुल्य कष्ट से बढ़कर हैं
पत्नी जो अपना सर्वस्व न्योछावर कर
अपने माँ-पिता का घर छोड़कर
एक अनजान घर को अपनाती हैं उसे संवारती हैं
आज कैसे वो अपने पति को छोड़ सकती हैं
हाय ये कैसी शर्त रख दी आपने?
पैसा....पैसा तो हर रिश्ते के आगे तुच्छ है
एक नारी के लिए
उसे तो केवल तन ढकने के लिए दो वस्त्र
पेट भरने के लिए दो रोटी और
सिर छुपाने के लिए पति के चरणों मे
थोडी सी जगह चाहिए
थोड़े में ही खुश रह लेती हैं नारी
हाय ये कैसी शर्त रख दी आपने
किसे चुनु इसी ऊहापोह में
न जाने कब प्राण पखेरू हो जाये?
हे ईश्वर.......
ये कैसी शर्त रख दी आपने ?
शकुंतला
अयोध्या(फैज़ाबाद)


10 comments:

  1. बहुत आभार श्वेता जी मेरी रचना को शामिल करने के लिए
    मैं जरूर उपस्थित रहूंगी

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  2. नारी जीवन शर्तों भरा न जाने क्यों रखा है इश्वर ने ...
    अच्छी रचना है ...

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    Replies
    1. जी बहुत शुक्रिया

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  3. बहुत ही कमाल और उम्दा...अप्रतिम रचना...बधाई स्वीकारें

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    Replies
    1. शुक्रिया संजय जी🌺🌺🌺🌺🌺

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  4. बहुत ही सुंदर लिखा है आपने आदरणीया शकुन्तला ली। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ ।

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    Replies
    1. जी शुक्रिया 🌷🌷🌷

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  5. आजकल आपने लिखना कम कर दिया
    क्यूँ....
    2020 में रचनाएँ कम हैं
    अनवरत कीजिए
    सादर

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    Replies
    1. जी दी मैं थोड़ा अस्वस्थ चल रही थीं अब फिर से कोशिश करूँगी आपका प्यार और स्नेह इसी तरह मुझ पर बना रहे

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अनुरोध

मेरा मन बहुत विचलित हो उठता है जब भी मैं कटे हुए पेड़ो को देखती हूं लगता है जैसे मेरा अंग किसी ने काट दिया हो बहुत ही असहनीय पीढ़ा होती हैं....