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Saturday, 14 April 2018

अलाव तेरे प्यार की

आज भी कहीं दहक रही हैं
मेरे अंतर्मन में
अलाव....
तेरे प्यार की
याद है मुझे
जब आप आये थे
संग अपनी बहन के
पहली बार देखने मुझे
जून की तपिश भरे
मौसम में
मैं डरती सकुचाई सी
लेकर हज़ारों ख्वाहिशें
मन में
आई जब रूबरू आपके और
जब आपकी नज़रों से टकराई
मेरी नज़रे
लगा जैसे मिल गया...
हमदम मेरा
पड़ गई जैसे जलते
अलाव ....
पर सावन की पहली फुहार और
सोंधी सोंधी महक से
महक उठा मेरा मन
फिर हुआ शुरू
सिलसिला बातों रस्मों का....
ऐसी लगन लगी
आपकी बातों के मोहपाश में
मैं बंधती चली गई
छोड़ के बाबुल का आँगन
बहनों का लाड़ दुलार
लेके संग तेरे 
अलाव..... 
के फ़ेरे जीने मरने की
कसमें खाई
आ गई सजना बन
जीवनसंगिनी द्वार आपके.....
सोचा था...
हंसी ठिठोली से होगी
शुरुआत नवजीवन की....
पर क्या मालूम था फिर
जलना होगा उसी
अलाव.......
में
शकुंतला
फैज़ाबाद

21 comments:

  1. बहुत अच्छी रचना दी

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    1. शुक्रिया सुप्रिया

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  2. अलाव तेरे प्यार की....मिलन भी आलाव सी बिछड़न भी अलाव सी ...जिन्दगी में है तपिश भी अलाव सी
    बहुत भावपूर्ण रचना..

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  3. वाह....
    बेहतरीन
    हमारा पुराना शीर्षक
    सादर

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    Replies
    1. बहुत आभार दी आपको पसंद आई

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  4. ये लिंक देखिए..
    https://halchalwith5links.blogspot.in/2018/01/913.html

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  5. प्रिय शकू -- प्रेम में छले मन की व्यथा कथा खूब बयाँ की आपने | दर्द का ये अलाव बहुत भावपूर्ण है |सस्नेह --

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    1. बहुत बहुत आभार रेणु जी आपकी प्रतिक्रिया का तहेदिल से शुक्रिया

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  6. नाजुक एहसास से सजी खूबसूरत रचना

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    1. बहुत आभार लोकेश जी

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  7. बहुत खूबसूरत रचना....सुन्दर अभिव्यक्ति

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    1. प्रिय नीतू जी बहुत बहुत शुक्रिया आपको पसंद आई मेरी रचना

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  8. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' १६ अप्रैल २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

    निमंत्रण

    विशेष : 'सोमवार' १६ अप्रैल २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक में ख्यातिप्राप्त वरिष्ठ प्रतिष्ठित साहित्यकार आदरणीया देवी नागरानी जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

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    1. बहुत बहुत आभार ध्रुव जी
      आपको मेरी रचना पसंद आई साहृदय धन्यवाद

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  9. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2018/04/65_16.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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  10. जी शुक्रिया सादर आभार मेरी रचना को मित्र मंडली में स्थान देने के लिए सदा आभारी हूँ

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  11. प्रेम के विकास की कहानी यही तो है ...
    लाजवाब ...

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय

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  12. वाहः बहुत ही सुंदर रचना

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अनुरोध

मेरा मन बहुत विचलित हो उठता है जब भी मैं कटे हुए पेड़ो को देखती हूं लगता है जैसे मेरा अंग किसी ने काट दिया हो बहुत ही असहनीय पीढ़ा होती हैं....