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Monday, 16 October 2017

दीपावली

दीप जैसे आप जगमगाते रहे
जीवन का हर तिमिर मिटता रहे

हर दिन नई फसलों की तरह लहलहाता रहे
हर रात उत्सव की फुलझड़ियां खिलती रहे

अधरों से मीठी मुंन्हार फूटती रहे
आँचल भर भर खुशियां आती रहे

बस इतनी सी ख्वाहिश है शकुंतला की
वसुधा के हर घर में बनती रहे दीपावली
 ©®@शकुंतला
       फैज़ाबाद

2 comments:

  1. बहुत ख़ूब, दीप पर्व की....... शुभकामनाएँ :)

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  2. शुक्रिया संजय जी....अबकि दीपावली में आपकी रचनाओं की जगमगाहट सारी दुनिया में फैले

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