Translate

Thursday 12 October 2017

सान्निध्य आपका

आप करीब रहो या कोसों दूर रहो
बस स्वस्थ रहो सानंद रहो

मन में हर पल उत्साह रहे
होंठों पर स्मित मन्द रहे

खुशियाँ राहों में बिछ जाए
जीवन में हर पल खुशहाली हो

दिन ईद रात दीपावली हो
दूरियां हमारी खत्म हो जाये

कहिये ज़नाब कब तल्क शकुंतला को
मिलेगा सुमुखि सान्निध्य आपका
           ©®@शकुंतला
                  फैज़ाबाद

11 comments:

  1. बहुत प्रभावशाली रचना सुंदर दिल को छूते शब्द .मनभावन

    ReplyDelete
  2. बहुत आभार संजय जी...मेरी कोशिश को हौसला देने के लिए

    ReplyDelete
  3. अद्भूत शुभचिंतन ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद प्रकाश जी

      Delete
  4. धन्यवाद लोकेश जी

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर भावों की अभिव्यक्ति शकुंतला जी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया अनिता जी

      Delete
  6. मन की बात शब्दो में बयाँ हुई है। सुंदर

    ReplyDelete
  7. कृपया ब्लाॅग पर Blogger Follower button उपलब्ध कराएँ, अवश्य सानिध्य मिलेगा। धन्यवाद।

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुक्रिया पुरुषोत्तम जी

      Delete

कहाँ खो गई हो तुम

कहाँ खो गई हो तुम.... आज भी मेरी नज़रे तुम्हें तलाशती हैं....... वो मासूम सी बच्ची खो गई कही जिम्मदारियों के बोझ से , चेहरे की रौनक, आँखों की...