रूहानी मोहब्बत की दास्तां हैं माँ
हर इंसान की पहली मोहब्बत हैं माँ
धरा पर ईश्वर का प्रतिरूप हैं माँ
पूरे विश्व का एक ब्रह्माण्ड हैं माँ
आँखो से छलकता हुआ सागर हैं माँ
हर खुशी हर गम में बहता मीठा झरना है माँ
हम गुस्से में हो तो प्यार भरी जादू की झप्पी हैं माँ
जब वो नाराज़ हो सबसे तो प्यार भरी छपकी है माँ
माणिक्य प्रकाश सी घर आंगन का लरजता दीपक हैं माँ
परिवार के हर मनके को जोड़नेवाला धागा हैं माँ
सबकी बलाए नज़रे उतारनेवाला काला टीका हैं माँ
खुद को भूखा रख हर निवाला ख़िलानेवाली अन्नपूर्णा हैं माँ
तपती धूप में आँचल का साया हैं माँ
सूखे कण्ठ को तर करनेवाली ठंडाई हैं माँ
छाती का अमृत पिलानेवाली पवित्र गंगा हैं माँ
तीनों जहां में छाई हुई रूहानी मोहब्बत हैं माँ...
©®@शकुंतला
अयोध्या(फैज़ाबाद) न
Translate
Sunday, 25 November 2018
रूहानी मोहब्बत-माँ
Jio our jeeney do
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
अनुरोध
मेरा मन बहुत विचलित हो उठता है जब भी मैं कटे हुए पेड़ो को देखती हूं लगता है जैसे मेरा अंग किसी ने काट दिया हो बहुत ही असहनीय पीढ़ा होती हैं....
-
नन्हे मुन्ने कोमल, चंचल, कच्ची मिट्टी से नौनिहालों को प्रेम,नैतिकता,संस्कार, ज्ञान की भट्टी में तपा कर जीवन रूपी नदियाँ में करती हूँ प्रवाह ...
-
पथ वरण करना सरल है, पथिक बनना ही कठिन है। दुख भरी एक कहानी सुनकर, अश्रु बहाना तो सरल है। बांध कर पलकों में सावन, मुस्कुराना ही कठिन है...
-
बिन कहे ही सब कुछ बोल जाते हैं उसके कंगन कानों में मीठी सी धुन सुना जाते हैं उसके कंगन दिल में अरमान आंखों को ख़्वाब दे जाते हैं उसके कंगन तन...
बेहतरीन रचना
ReplyDeleteशुक्रिया दी
Deleteसूखे कण्ठ को तर करनेवाली ठंडाई हैं माँ
ReplyDeleteछाती का अमृत पिलानेवाली पवित्र गंगा हैं माँ
तीनों जहां में छाई हुई रूहानी मोहब्बत हैं माँ...
वाह ! प्रिय शकुन्तला -- बहुत ही मधुर और स्नेहसिक्त शब्दों में माँ की महिमा को पिरोया है | सस्नेह आभार और शुभकामनाये |
अस्वस्थ होने की वजह से कुछ लिख नही पा रही थी आज बहुत दिनों बाद कुछ लिखने की कोशिश की हैं आपको अच्छी लगी तो मुझे भी अच्छा लगा शुक्रिया रेणु जी
Delete"...
ReplyDeleteहम गुस्से में हो तो प्यार भरी जादू की झप्पी हैं माँ
जब वो नाराज़ हो सबसे तो प्यार भरी छपकी है माँ
..."
बहुत ही सुन्दर, पवित्र और माँ-सी रचना।
जी बहुत आभार आदरणीय
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 02 दिसम्बर 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत आभार दी
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteशुक्रिया ओंकार जी
Deleteबहुत सुंदर भाव और लाज़वाब संदेश...वाहह👌
ReplyDeleteजल्दी से पूर्णतया स्वस्थ हो जाइये...बहुत शुभेच्छाएँ मेरी।
बहुत आभार स्वेता जी
Deleteछाती का अमृत पिलानेवाली पवित्र गंगा हैं माँ
ReplyDeleteतीनों जहां में छाई हुई रूहानी मोहब्बत हैं माँ...
बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति।
आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए आभार🌷
ReplyDelete