Translate

Monday, 6 February 2023

अब तो सब सपना हो गया

गांव जाते ही बचपन की सारी यादें 
आँखों के सामने आ जाती हैं
दादा दादी का प्यार,दुलार
दादा जी का मेरा पैर छू कर कहना
हमार राजा आ गईल
आपन बहनी का हम गोड़ रख लेई
दादी का मेरे होंठों को चूमना
एक दिन पहले से ही मेरी पसंद का 
रसियाव ,दलभरी पूड़ी ,चोखा भात बनाना
जितने चाचा उतने तरह का खाना
पूरे गांव में घूमना मस्ती करना
सबके साथ मिलकर चूहले पर खाना बनाना
बुआ लोगो का ओखली में चूड़ा कूटना
दादी के साथ ढेकी पर धान कूटना
चक्की पर दाल दरना,गेहूं पीसना
दादा जी के साथ खेतों में जाना
उनके लिए नहारी ले जाना 
उनके साथ खूब सारी बातें करना
दादा जी का बात बात पर कहना 
बहनी जो हो गया सो हो गया
मम्मी का सीधे पल्ले की साड़ी पहनना
सभी चाचियां मम्मी के आगे पीछे
दीदी दीदी कह कर लगे रहना
कोई बुकवा लगा रहा है तो कोई 
सिर में तेल मीज रहा है हर कोई
बस मम्मी की सेवा में लगा रहता
पापा का तो अलग ही रौब रहता था
दादाजी पता नहीं कैसे जान जाते थे
कि पापा आने वाले हैं 
एक दिन पहले से ही दूध दही बचाने लगते
कहते हमार बड़का बाऊ आई तब वही खाई 
गज़ब का प्यार  था उनका पापा के लिए
हम सब भाई बहनों का प्यार
आम के पेड़ पर छूआ छुआन खेलना,
पाकड के पेड़ पर झूला झूलना,
पता नहीं कैसे गर्मी की छुट्टियां बीत जाती थी
वापस आते समय सभी का रोना 
भेटना गाँव के बाहर तक छोड़ना 
..…अब तो सब सपना हो गया हैं
शकुंतला 
सर्वाधिकार सुरक्षित 
अयोध्या (फैजाबाद)

4 comments:


  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 8फरवरी 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी शुक्रिया पम्मी जी मैं जरुर उपस्थित रहूंगी

      Delete
  2. सही कहा आपने मनीषा जी

    ReplyDelete
  3. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति l
    होली की हार्दिक शुभकामनायें l

    ReplyDelete

अनुरोध

मेरा मन बहुत विचलित हो उठता है जब भी मैं कटे हुए पेड़ो को देखती हूं लगता है जैसे मेरा अंग किसी ने काट दिया हो बहुत ही असहनीय पीढ़ा होती हैं....