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Sunday, 28 August 2022

उसके कंगन

बिन कहे ही सब कुछ बोल जाते हैं उसके कंगन
कानों में मीठी सी धुन सुना जाते हैं उसके कंगन
दिल में अरमान आंखों को ख़्वाब दे जाते हैं उसके कंगन
तन- मन मे अगन लगा जाते हैं उसके कंगन
प्रेम आलिंगन में घेर लें जाते हैं उसके कंगन
कभी दिल कभी मन भर जाते हैं उसके कंगन
कभी मेरे होने का अहसास करा जाते है उसके कंगन
तो कभी अपनी जिम्मेदारी सौंप जाते हैं उसके
 कंगन
कभी खुलकर प्यार करना सीखा जाते हैं उसके कंगन
तो कभी टूटकर लहुलुहान कर जाते हैं उसके कंगन
कभी माँ की गोद तो बहन की याद दिला जाते हैं उसके कंगन
न जाने क्या क्या दिखा जाते हैं उसके कंगन
शकुंतला राज

12 comments:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (30-8-22} को "वीरानियों में सिमटी धरती"(चर्चा अंक 4537) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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    कामिनी सिन्हा

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    1. जी शुक्रिया आदरणीया मैं जरूर उपस्थित रहूंगी

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  2. Replies
    1. शुक्रिया आदरणीया

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  3. यादे जुड़ी है कंगनो से
    बहुत सुन्दर सृजन ।

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  4. कंगन ,मीठी यादों से मिलाते

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  5. कंगन यानि यादों का पिटारा ।।

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    Replies
    1. शुक्रिया आदरणीया

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अनुरोध

मेरा मन बहुत विचलित हो उठता है जब भी मैं कटे हुए पेड़ो को देखती हूं लगता है जैसे मेरा अंग किसी ने काट दिया हो बहुत ही असहनीय पीढ़ा होती हैं....