बिन कहे ही सब कुछ बोल जाते हैं उसके कंगन
कानों में मीठी सी धुन सुना जाते हैं उसके कंगन
दिल में अरमान आंखों को ख़्वाब दे जाते हैं उसके कंगन
तन- मन मे अगन लगा जाते हैं उसके कंगन
प्रेम आलिंगन में घेर लें जाते हैं उसके कंगन
कभी दिल कभी मन भर जाते हैं उसके कंगन
कभी मेरे होने का अहसास करा जाते है उसके कंगन
तो कभी अपनी जिम्मेदारी सौंप जाते हैं उसके
कंगन
कभी खुलकर प्यार करना सीखा जाते हैं उसके कंगन
तो कभी टूटकर लहुलुहान कर जाते हैं उसके कंगन
कभी माँ की गोद तो बहन की याद दिला जाते हैं उसके कंगन
न जाने क्या क्या दिखा जाते हैं उसके कंगन
शकुंतला राज
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (30-8-22} को "वीरानियों में सिमटी धरती"(चर्चा अंक 4537) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
जी शुक्रिया आदरणीया मैं जरूर उपस्थित रहूंगी
Deleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteशुक्रिया आदरणीया
Deleteयादे जुड़ी है कंगनो से
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सृजन ।
🙏🙏🙏
Deleteबहुत सुंदर।
ReplyDelete🙏🙏🙏
Deleteकंगन ,मीठी यादों से मिलाते
ReplyDelete🙏🙏🙏
Deleteकंगन यानि यादों का पिटारा ।।
ReplyDeleteशुक्रिया आदरणीया
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