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Friday 5 January 2018

क्यों हो गई माँ तुम हृदय हीन

माँ तुम तो थी ममता की मूरत
आज क्यों हो गई माँ तुम हृदय हीन

रखा था जिसे अपनी कोख में नौ माह
आज क्यों किया दूर अपनी गोद से

दर्द सह कर जन्म दिया फिर आज क्यों न हुआ
तनिक सा भी दर्द खुद से कर दिया जुदा

जिस छाती का अमृत पिलाया
आज उसी सीने से दूर कर दिया

क्यों माँ तुझे मेरा मासूम सा चेहरा प्यारा नही
जो कर दिया आज खुद से किनारा

ऐसी क्या थी तेरी मज़बूरी जो छोड़ दिया
या मैं ही बन गई मजबूरी तेरी

क्या लड़की होना अभिशाप हैं मेरा
तू भी तो हैं माँ लड़की किसी की

सुना है माता नही होती कुमाता
कहीं कलयुग का तुझ पे असर तो नही

छोड़ गई माँ तुम मुझे इस अनजान शहर में
क्यो हो गई माँ तुम हृदय हीन
©®@शकुंतला
फैज़ाबाद

10 comments:

  1. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग पर 'सोमवार' ०८ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

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    1. ध्रुव जी आपको मेरी यह नन्ही सी कोशिश पसन्द आई मेरी लेखिनी धन्य हो गई
      आपका बहुत आभार आपने मेरी रचना को अपने ब्लॉग में इतना सम्मान दिया

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  2. वाह्ह्ह हृदय को छूने वाली रचना और संवेदना से परिपूर्ण।

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    1. शुक्रिया प्रकाश जी

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  3. शुक्रिया प्रिय नीतू जी

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  4. आपको सूचित करते हुए बड़े हर्ष का अनुभव हो रहा है कि ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग 'मंगलवार' ९ जनवरी २०१८ को ब्लॉग जगत के श्रेष्ठ लेखकों की पुरानी रचनाओं के लिंकों का संकलन प्रस्तुत करने जा रहा है। इसका उद्देश्य पूर्णतः निस्वार्थ व नये रचनाकारों का परिचय पुराने रचनाकारों से करवाना ताकि भावी रचनाकारों का मार्गदर्शन हो सके। इस उद्देश्य में आपके सफल योगदान की कामना करता हूँ। इस प्रकार के आयोजन की यह प्रथम कड़ी है ,यह प्रयास आगे भी जारी रहेगा। आप सभी सादर आमंत्रित हैं ! "लोकतंत्र" ब्लॉग आपका हार्दिक स्वागत करता है। आभार "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

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    1. बहुत बहुत आभार बधाई हो

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  5. प्रिय शकु -- माँ द्वारा परित्यक्त बेटी की पीड़ा को बहुत मर्मस्पर्शी भावों से सजा शब्द दिए आपने | माँ भी किसी की बेटी होती है पर वह ये बात भूल जाती है कि बेटी को भी उसकी उतनी जरूरत है जितनी कभी माँ को अपनी माँ की थी --

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    1. प्रिय रेणु जी बहुत आभार आपको मेरी रचना पसंद आई

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