तुमसे कोई उम्मीद नहीं
फिर भी न जानें क्यों सारी उम्मीदें तुमसे ही है
तुमसे कोई ख्वाहिश नही
फिर भी न जाने क्यों सारी ख्वाहिशें तुमसे ही है
तुमसे कोई नाराजगी नहीं
फिर भी न जाने क्यों सारे गिले शिकवे तुमसे ही है
तुमसे प्यार की उम्मीद नहीं
फिर भी न जाने क्यों मोहब्बत सिर्फ़ तुमसे ही है
शकुंतला
सुंदर भावपूर्ण रचना।
ReplyDeleteधन्यवाद स्वेता जी
Deleteइसी का नाम प्यार है
ReplyDeleteशुक्रिया आदरणीया
Deleteब्लॉग पर देरी से आने के लिए क्षमा चाहती हूं मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत आभार आदरणीया
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना
ReplyDeleteशुक्रिया आदरणीय
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