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Wednesday 13 December 2017

घर उजड़ गया तो बसाया न जाएगा

तेरा ख्याल दिल से भुलाया न जायेगा
उल्फ़त की जिंदगी को मिटाया न जाएगा

आँखों से दिल का हाल छुपाया न जाएगा
मेरे दिल की खुशी इस तरह न लूटिए

मज़बूरियों ने छीन ली मुझसे अगर ज़ुबाँ
आँसू कहेंगे दिल के उजड़ने की दास्ताँ

अच्छा नहीं है यू गरीबों से दिल्लग्गी
ये घर उजड़ गया तो बसाया न जाएगा
©®@शकुंतला
फैज़ाबाद

8 comments:

  1. वाह बहुत खूब

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    1. धन्यवाद मेरी प्यारी नीतू जी

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  2. बहुत खूब ...
    लाजवाब शेर ... स्पष्ट से अपनी बात रखते हुए शेर ...

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    1. धन्यवाद आपको मेरी ये कोशिश पसन्द आई

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  3. उम्दा लाजवाब गजल ।
    शुभ संध्या ।

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    1. शुक्रिया कुसुम दी

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  4. बेहतरीन, शब्दों का सुंदर प्रयोग।

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अनुरोध

मेरा मन बहुत विचलित हो उठता है जब भी मैं कटे हुए पेड़ो को देखती हूं लगता है जैसे मेरा अंग किसी ने काट दिया हो बहुत ही असहनीय पीढ़ा होती हैं....