आज ये पूर्णमासी का चांद भी
कितनी तेजी से चमक रहा है
जैसे कि वो भी खुश हो रहा है
हमारे मिलन का साक्षी बनकर
अजी सुनो देखो न!
आज ये पूर्णमासी का चांद भी
कितनी अटखेलियां कर रहा है
कभी बादलों के पीछे छिप जा रहा है
और झांक झांक के हमें निहारता है
अजी सुनो देखो न!
आज ये पूर्णमासी का चांद भी
हमें देख अपनी चांदनी की चमक
और भी तेजी से बढ़ा रहा है
जैसे वो भी हमें एक होता देखना चाहता हो
अजी सुनो देखो न!
आज ये पूर्णमासी का चांद भी
संग अपने पूरी तारों की
बारात लेकर आया है
हमें अकेला न महसूस हो ये जताने आया है
शकुंतला अयोध्या
(फैज़ाबाद)
वाह! सुंदर!
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteभावनाओं से भरी अभिव्यक्ति शकुंतला जी।
ReplyDeleteशुक्रिया दी 🌷🌹
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 25 फरवरी 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी बहुत आभार आदरणीया दी मेरी रचना को शामिल करने के लिए धन्यवाद
Deleteमैं जरूर उपस्थित रहुंगी
बहुत सुन्दर रचना।
ReplyDeleteशुक्रिया आदरणीय मयंक जी
Deleteभावपूर्ण अति सुंदर रचना प्रिय शंकुतला जी।
ReplyDeleteसादर।
जी शुक्रिय आदरणीया श्वेता जी🙏🌷
Deleteबहुत सुंदर।
ReplyDelete🌷🙏
Deleteमन मोहती भावपूर्ण कृति..
ReplyDeleteधन्यवाद जिज्ञासा जी 🙏
Deleteसुंदर भावपूर्ण सृजन के लिए आपको शुभकामनाएँ। सादर बधाई।
ReplyDeleteशुक्रिया आदरणीय 🙏
Deleteबहुत सुन्दर सृजन।
ReplyDeleteजी बहुत आभार आदरणीय
Deleteबहुत बढ़िया ।
ReplyDeleteजी शुक्रिया आदरणीय
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