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Sunday 2 July 2023

कहाँ खो गई हो तुम

कहाँ खो गई हो तुम....
आज भी मेरी नज़रे तुम्हें तलाशती हैं.......
वो मासूम सी बच्ची
खो गई कही जिम्मदारियों के बोझ से ,
चेहरे की रौनक, आँखों की चमक 
सब माँ के साथ चली गई

Monday 6 February 2023

अब तो सब सपना हो गया

गांव जाते ही बचपन की सारी यादें 
आँखों के सामने आ जाती हैं
दादा दादी का प्यार,दुलार
दादा जी का मेरा पैर छू कर कहना
हमार राजा आ गईल
आपन बहनी का हम गोड़ रख लेई
दादी का मेरे होंठों को चूमना
एक दिन पहले से ही मेरी पसंद का 
रसियाव ,दलभरी पूड़ी ,चोखा भात बनाना
जितने चाचा उतने तरह का खाना
पूरे गांव में घूमना मस्ती करना
सबके साथ मिलकर चूहले पर खाना बनाना
बुआ लोगो का ओखली में चूड़ा कूटना
दादी के साथ ढेकी पर धान कूटना
चक्की पर दाल दरना,गेहूं पीसना
दादा जी के साथ खेतों में जाना
उनके लिए नहारी ले जाना 
उनके साथ खूब सारी बातें करना
दादा जी का बात बात पर कहना 
बहनी जो हो गया सो हो गया
मम्मी का सीधे पल्ले की साड़ी पहनना
सभी चाचियां मम्मी के आगे पीछे
दीदी दीदी कह कर लगे रहना
कोई बुकवा लगा रहा है तो कोई 
सिर में तेल मीज रहा है हर कोई
बस मम्मी की सेवा में लगा रहता
पापा का तो अलग ही रौब रहता था
दादाजी पता नहीं कैसे जान जाते थे
कि पापा आने वाले हैं 
एक दिन पहले से ही दूध दही बचाने लगते
कहते हमार बड़का बाऊ आई तब वही खाई 
गज़ब का प्यार  था उनका पापा के लिए
हम सब भाई बहनों का प्यार
आम के पेड़ पर छूआ छुआन खेलना,
पाकड के पेड़ पर झूला झूलना,
पता नहीं कैसे गर्मी की छुट्टियां बीत जाती थी
वापस आते समय सभी का रोना 
भेटना गाँव के बाहर तक छोड़ना 
..…अब तो सब सपना हो गया हैं
शकुंतला 
सर्वाधिकार सुरक्षित 
अयोध्या (फैजाबाद)

Sunday 28 August 2022

उसके कंगन

बिन कहे ही सब कुछ बोल जाते हैं उसके कंगन
कानों में मीठी सी धुन सुना जाते हैं उसके कंगन
दिल में अरमान आंखों को ख़्वाब दे जाते हैं उसके कंगन
तन- मन मे अगन लगा जाते हैं उसके कंगन
प्रेम आलिंगन में घेर लें जाते हैं उसके कंगन
कभी दिल कभी मन भर जाते हैं उसके कंगन
कभी मेरे होने का अहसास करा जाते है उसके कंगन
तो कभी अपनी जिम्मेदारी सौंप जाते हैं उसके
 कंगन
कभी खुलकर प्यार करना सीखा जाते हैं उसके कंगन
तो कभी टूटकर लहुलुहान कर जाते हैं उसके कंगन
कभी माँ की गोद तो बहन की दिला जाते हैं उसके कंगन
न जाने क्या क्या दिखा जाते हैं उसके कंगन
शकुंतला राज

Saturday 21 May 2022

पहला इश्क

तुम से पहले भी
इश्क हुआ था 
हमें अपनी मां से
जिसमें सिर्फ़ और सिर्फ़
 प्यार मिला था हमें
वो पहला प्यार हम
 कभी न भूल पाएंगे
चाहे जितने भी 
कर लो जतन पर 
ऐसा इश्क दुबारा
न कर पाएंगे
हम किसी से
शकुंतला" वैभवी "
अयोध्या

Wednesday 11 May 2022

तुमसे कोई उम्मीद नहीं

तुमसे कोई उम्मीद नहीं
फिर भी न जानें क्यों सारी उम्मीदें तुमसे ही है
तुमसे कोई ख्वाहिश नही
फिर भी न जाने क्यों सारी ख्वाहिशें तुमसे ही है
तुमसे कोई नाराजगी नहीं
फिर भी न जाने क्यों सारे गिले शिकवे तुमसे ही है
तुमसे प्यार की उम्मीद नहीं
फिर भी न जाने क्यों मोहब्बत सिर्फ़ तुमसे ही है
शकुंतला

Friday 4 February 2022

मां वैभवी

विद्या की चाहत है तो विमूढ़ता का नाश कर,
विन्रमता की सीढ़ी चढ़ विद्या को प्राप्त कर।
पात्रता की आस है तो मां शारदे का ध्यान कर,
उसकी अनुकंपा से तू यशस्वी बन जायेगा।
शालीनता की कुंजी से तू पात्रता के द्वार खोल,
पात्रता के बल ही तू जग-प्रसिद्धि पाएगा।
वैभव की आस है तो मां वैभवी को याद कर,
उसी की प्रेरणा से तू धन अर्जित कर पाएगा।
विद्या की देवी मां सरस्वती का तू ध्यान कर,
जिसकी सुरताल सुन तू सद्मानव बन जायेगा।
शकुन्तला
अयोध्या (फैज़ाबाद)

Monday 24 January 2022

मासी मम्मा

सच ही कहा है किसी ने ....
मेरे घर आई एक नन्ही परी.....
सच में तुम परी ही तो हो...
तुम क्या आई मेरे जीवन में 
जीवन की दिशा ही बदल गई
मां से बढ़कर तो नही
पर मासी का ये रिश्ता होता हैं 
बड़ा ही प्यारा सा दुलारा सा
नन्हें नन्हें कदमों से 
प्यारी प्यारी खुशियां लाई तुम
घर अंगना हमारे
तेरी एक हंसी पर 
न्यौछार मेरी सारी खुशियां
तेरे मांगने पहले ही रख दू 
तेरी प्यारी प्यारी तोतली सी बातें
कर देती हैं दिल प्रफुलित
हर लेती हैं दिल का हर दर्द
भूल जाती हूं तुझे देख अपने सारे गम
तेरे प्यारे प्यारे मुख से 
मासी मम्मा........ सुनकर
मन का मयूर नृत्य करने लगता हैं
और आत्म की तृप्ति हो जाती हैं
तुझमें ही हम सबकी जान बसती हैं
जब भी तुम आती हो घर में
हम भी जी लेते हैं बचपन अपना
तुझे देख तेरे नाना भी हो जाते हैं मगन 
रंग जाते हैं तेरे ही रंग में
कभी तू सबको डांस सिखाती हैं
तो कभी तू बनकर डॉक्टर
करती हैं हमारे दुखो को 
दूर हटाने का इलाज़
जब तू जाती है घर से 
रहता है इंतजार सभी को 
आने वाले इतवार का
तेरे प्यारे से मुखड़े को 
जब भी निहारती हूं
तब आत्मा से निकलती हैं यही दुआ
तू हर पल यूंही रहे मुस्काती
लग जाए तुझे मेरी भी उमर
न तुझे लगे किसी की नज़र
तू पढ़े लिखे आगे बढ़े 
जीवन में उन्नति करे और 
तू अपने मां पापा का नाम 
आकाश की ऊंचाईयों तक रौशन करे 
और मेरे जीवन के आख़री पल में
तू मेरी आंखो के सामने रहे....
मेरी चूहियां मेरी आराध्या
शकुन्तला 
अयोध्या(फैज़ाबाद)



कहाँ खो गई हो तुम

कहाँ खो गई हो तुम.... आज भी मेरी नज़रे तुम्हें तलाशती हैं....... वो मासूम सी बच्ची खो गई कही जिम्मदारियों के बोझ से , चेहरे की रौनक, आँखों की...