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Monday 30 October 2017

इंसान बनना ही कठिन हैं

पथ वरण करना सरल है,
पथिक बनना ही कठिन है।
दुख भरी एक कहानी सुनकर,
अश्रु बहाना तो सरल है।
बांध कर पलकों में सावन,
मुस्कुराना ही कठिन हैं
स्वार्थ की जलती चिता पर,
स्वयं जलना तो सरल हैं।
दूसरों का पक्षधर कर,
होम होना ही कठिन हैं।
किसी से जीत करके,
वीर बनना तो सरल हैं।
पर उन्हें विजयी बनाकर,
हार जाना ही कठिन हैं।
स्वर्ग में रहकर हमेशा,
देव बनना तो सरल हैं
पर धरा पर रह करके,
इंसान बनना ही कठिन हैं।
        ©®@शकुंतला
               फैज़ाबाद

27 comments:

  1. प्रिय शकुन्तला ------ आपकी भावभीनी और सार्थक रचना में सुन्दर शब्द विन्यास के साथ बहुत ही सार्थक सन्देश छुपा है | सचमुच जो विपरीत परिस्थतियों में आँखों में अश्रु छिपा मुस्कुराये -- हार में जीत सा गौरव अनुभव करे वही सच्चा इन्सान है | जेवण में सरल होना बड़ा कठिन है | आपकी सुंदर , सरल और सार्थक रचना पर आपको सस्नेह बहुत शुभकामना |

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    1. रेणु जी आपको मेरी यह कोशिश पसंद आई हूं धन्य हो गए.... बहुत बहुत आभार आपका आपका प्यार और आशीर्वाद हमेशा मुझे प्रेरित करता है

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  2. सुन्दर‎ और सार्थक रचना‎ .

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    1. शुक्रिया मीना दी आपका आशीर्वाद हैं

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  3. स्वार्थ की जलती चिता पर,
    स्वयं जलना तो सरल हैं।
    दूसरों का पक्षधर कर,
    होम होना ही कठिन हैं।

    आप गम्भीर विषय चुनते हैं और बख़ूबी उसे निभाते हैं-कुछ अलग और कुछ खास कह जाते हैं। बहुत सुंदर वाह

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    1. शुक्रिया अमित जी आप मेरी इस नन्ही सी कोशिश को इतनी गहराई से पढ़ते हैं बहुत अच्छा लगता हैं जब आप बड़े रचनाकार मुझे भी पढ़ते हैं

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  4. बहुत सुन्दर रचना

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    1. बहुत बहुत आभार भारती दी

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  5. आदरणिया बहुत सुंदर सत्य बोलती रचना ।। वाकई इन्सान बनना कठिन है ।।

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    1. बहुत आभार आपका आदरणीय

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  6. शकुन्तला जी, आप बिलकुल सही कह रही हैं. लाजवाब कविता.

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    1. शुक्रिया पंकज जी

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  7. सुन्दर प्रस्तुति शकुंतला जी। सादर आग्रह के साथ निवेदन है कि आप मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों --
    मेरे ब्लॉग का लिंक www.rakeshkirachanay.blogspot.com

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    1. शुक्रिया राकेश जी आपका तहेदिल से आभार

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    2. राकेश जी मैंने आपकी रचनायें पढ़ी बहुत ही खूबसूरती से आप लिखते हैं

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  8. देव बनना तो सरल हैं
    पर धरा पर रह करके,
    इंसान बनना ही कठिन हैं।.......बहुत सुन्दर!!!

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    1. शुक्रिया विश्वा मोहन जी🌻

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  9. कौन से शब्दों का चयन करके इसकी प्रसन्नसा करूँ। वाकई में इंसान बनना कठिन है। झकजोरने वाली बातें है इसमें।
    इस रचना के बाद आपका 'पथिक' बनना कठिन नही है। शुभकामना।

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    1. प्रकाश जी आपको सादर धन्यवाद... आप की शुभकामनाओ का तहेदिल से स्वागत करती हूं

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  10. बहुत सार्थक रचना दुनिया का सबसे
    मुश्किल कार्य इंसान बनना ही है।

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  11. पिता, पति,या पैसा इसमें से किसी एक को चुनो हाय ये कैसी शर्त रख दी आपने? एक बार भी आपने सोचा नहीं क्या होगा यह शर्त सुनकर ज़रा सी भी न आ... https://desibabu.in/

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  12. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" मंगलवार 04 जूलाई 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा  धन्यवाद!   

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया दी मैं समय से मंच पर उपस्थित नही हो पाई जिसके लिए क्षमा चाहती हूं

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  13. वाह! बहुत सुन्दर सृजन

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    1. शुक्रिया आदरणीया

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अनुरोध

मेरा मन बहुत विचलित हो उठता है जब भी मैं कटे हुए पेड़ो को देखती हूं लगता है जैसे मेरा अंग किसी ने काट दिया हो बहुत ही असहनीय पीढ़ा होती हैं....