पथ वरण करना सरल है,
पथिक बनना ही कठिन है।
दुख भरी एक कहानी सुनकर,
अश्रु बहाना तो सरल है।
बांध कर पलकों में सावन,
मुस्कुराना ही कठिन हैं
स्वार्थ की जलती चिता पर,
स्वयं जलना तो सरल हैं।
दूसरों का पक्षधर कर,
होम होना ही कठिन हैं।
किसी से जीत करके,
वीर बनना तो सरल हैं।
पर उन्हें विजयी बनाकर,
हार जाना ही कठिन हैं।
स्वर्ग में रहकर हमेशा,
देव बनना तो सरल हैं
पर धरा पर रह करके,
इंसान बनना ही कठिन हैं।
©®@शकुंतला
फैज़ाबाद
पथिक बनना ही कठिन है।
दुख भरी एक कहानी सुनकर,
अश्रु बहाना तो सरल है।
बांध कर पलकों में सावन,
मुस्कुराना ही कठिन हैं
स्वार्थ की जलती चिता पर,
स्वयं जलना तो सरल हैं।
दूसरों का पक्षधर कर,
होम होना ही कठिन हैं।
किसी से जीत करके,
वीर बनना तो सरल हैं।
पर उन्हें विजयी बनाकर,
हार जाना ही कठिन हैं।
स्वर्ग में रहकर हमेशा,
देव बनना तो सरल हैं
पर धरा पर रह करके,
इंसान बनना ही कठिन हैं।
©®@शकुंतला
फैज़ाबाद
प्रिय शकुन्तला ------ आपकी भावभीनी और सार्थक रचना में सुन्दर शब्द विन्यास के साथ बहुत ही सार्थक सन्देश छुपा है | सचमुच जो विपरीत परिस्थतियों में आँखों में अश्रु छिपा मुस्कुराये -- हार में जीत सा गौरव अनुभव करे वही सच्चा इन्सान है | जेवण में सरल होना बड़ा कठिन है | आपकी सुंदर , सरल और सार्थक रचना पर आपको सस्नेह बहुत शुभकामना |
ReplyDeleteरेणु जी आपको मेरी यह कोशिश पसंद आई हूं धन्य हो गए.... बहुत बहुत आभार आपका आपका प्यार और आशीर्वाद हमेशा मुझे प्रेरित करता है
Deleteसुन्दर और सार्थक रचना .
ReplyDeleteशुक्रिया मीना दी आपका आशीर्वाद हैं
Deleteस्वार्थ की जलती चिता पर,
ReplyDeleteस्वयं जलना तो सरल हैं।
दूसरों का पक्षधर कर,
होम होना ही कठिन हैं।
आप गम्भीर विषय चुनते हैं और बख़ूबी उसे निभाते हैं-कुछ अलग और कुछ खास कह जाते हैं। बहुत सुंदर वाह
शुक्रिया अमित जी आप मेरी इस नन्ही सी कोशिश को इतनी गहराई से पढ़ते हैं बहुत अच्छा लगता हैं जब आप बड़े रचनाकार मुझे भी पढ़ते हैं
Deleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार भारती दी
Deleteआदरणिया बहुत सुंदर सत्य बोलती रचना ।। वाकई इन्सान बनना कठिन है ।।
ReplyDeleteबहुत आभार आपका आदरणीय
Deleteशकुन्तला जी, आप बिलकुल सही कह रही हैं. लाजवाब कविता.
ReplyDeleteशुक्रिया पंकज जी
Deleteसुन्दर प्रस्तुति शकुंतला जी। सादर आग्रह के साथ निवेदन है कि आप मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों --
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग का लिंक www.rakeshkirachanay.blogspot.com
शुक्रिया राकेश जी आपका तहेदिल से आभार
Deleteराकेश जी मैंने आपकी रचनायें पढ़ी बहुत ही खूबसूरती से आप लिखते हैं
Deleteदेव बनना तो सरल हैं
ReplyDeleteपर धरा पर रह करके,
इंसान बनना ही कठिन हैं।.......बहुत सुन्दर!!!
शुक्रिया विश्वा मोहन जी🌻
Deleteकौन से शब्दों का चयन करके इसकी प्रसन्नसा करूँ। वाकई में इंसान बनना कठिन है। झकजोरने वाली बातें है इसमें।
ReplyDeleteइस रचना के बाद आपका 'पथिक' बनना कठिन नही है। शुभकामना।
प्रकाश जी आपको सादर धन्यवाद... आप की शुभकामनाओ का तहेदिल से स्वागत करती हूं
Deleteबहुत सार्थक रचना दुनिया का सबसे
ReplyDeleteमुश्किल कार्य इंसान बनना ही है।
Shukriya di
Deleteपिता, पति,या पैसा इसमें से किसी एक को चुनो हाय ये कैसी शर्त रख दी आपने? एक बार भी आपने सोचा नहीं क्या होगा यह शर्त सुनकर ज़रा सी भी न आ... https://desibabu.in/
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" मंगलवार 04 जूलाई 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया दी मैं समय से मंच पर उपस्थित नही हो पाई जिसके लिए क्षमा चाहती हूं
Deleteवाह! बहुत सुन्दर सृजन
ReplyDeleteशुक्रिया आदरणीया
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