मिलन जुदाई का क्या वास्ता
जिंदगी भी तो है एक रास्ता
जन्म से साथ चलने वाले दुखों से
खुशी का एक पल भी तो हैं एक रास्ता
तुझको तेरे अपनों का वास्ता
जो हुये न अपने उनसे क्या वास्ता
भीड़ या महफ़िल से क्या वास्ता
जो अकेला न तय कर सके रास्ता
धूप और छाँव का कब हुआ है मिलन
वैसे भी अब किस्मत पे अपनी हैं न आस्था
जिंदगी भी तो है एक रास्ता
जन्म से साथ चलने वाले दुखों से
खुशी का एक पल भी तो हैं एक रास्ता
तुझको तेरे अपनों का वास्ता
जो हुये न अपने उनसे क्या वास्ता
भीड़ या महफ़िल से क्या वास्ता
जो अकेला न तय कर सके रास्ता
धूप और छाँव का कब हुआ है मिलन
वैसे भी अब किस्मत पे अपनी हैं न आस्था
©®@शकुंतला
फैज़ाबाद
जन्म के साथ चलने वाले दुखो से
ReplyDeleteखुशी का एक पल भी तो है एक रास्ता...
एकदम सटीक....
सुन्दर ,बहुत सुन्दर...
शुक्रिया सुधा दी....कम से कम आपने इस कविता को पढ़ा तथा सराहा...नही तो मुझे लग रहा था कि मैंने कुछ व्यर्थ सा लिख दिया हैं
Deleteजय मां हाटेशवरी...
ReplyDeleteअनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 10/04/2018 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
जी बहुत बहुत आभार
ReplyDeleteमेरी रचना को पांच लिंको का आनंद में स्थान देने के लिए सादर धन्यवाद
बहुत सुंदर रचना!!
ReplyDeleteशुक्रिया शुभा जी
Delete
ReplyDeleteतुझको तेरे अपनों का वास्ता
जो हुये न अपने उनसे क्या वास्ता------- वाह !!प्रिय शकू बहुत सुंदर शेरों से सजी रचना | सस्नेह ----
शुक्रिया रेणु दी
Delete