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Friday 1 January 2021

मज़बूत डोर

तुमने लाख कोशिश
की अपने मन की
हर बात छुपाने की
पर मेरे दिल ने तेरी
हर कोशिश को
नाकाम कर दिया
हम तेरा हर गम
समझ लेते हैं तेरे
चेहरे को देखकर
तेरी आवाज़ की लय
से जान जाते हैं
तेरी हर तकलीफ को
तू मेरे जहन में इस तरह
समाया है कि तेरा
हर दर्द मुझसे होकर
ही गुजरता हैं
तू माने या न माने हम
दो जिस्म एक जान हैं
तुम से ही मैं हूं
और शायद मुझसे
ही तुम्हारा अस्तित्व
 जुड़ा हुआ है
हम दोनों ही एक
नाज़ुक सी पर एक 
मजबूत डोर से बंधे हुए हैं
जो इस जनम ही नहीं
बल्कि जनमो जन्मों 
तक तोड़ने से भी न टूटेगी
शकुंतला
अयोध्या (फैज़ाबाद)

22 comments:

  1. बहुत ही भावपूर्ण और विश्वास भरे समर्पित मन की मार्मिक अभिव्यक्ति प्रिय शकुंतला जी। सचमुच अगाध प्रेम भरे दो मनों एक दुःख और सुख एक ही होते हैं और एक दूसरे के दर्द को महसूस करना ही सच्चा प्यार होता है। हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई इस अनुराग भरी रचना के लिए।

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    Replies
    1. जी शुक्रिया रेणु दी

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  2. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 28 दिसंबर 2020 को 'होंगे नूतन साल में, फिर अच्छे सम्बन्ध' (चर्चा अंक 3929) पर भी होगी।--
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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    1. जी बहुत आभार आदरणीय रविन्द्र जी मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत आभार 🌷🙏

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  3. तुम से ही मैं हूं
    और शायद मुझसे
    ही तुम्हारा अस्तित्व
    जुड़ा हुआ है
    हम दोनों ही एक
    नाज़ुक सी पर एक
    मजबूत डोर से बंधे हुए हैं

    कोमल भावनाओं से ओतप्रोत बहुत सुंदर रचना... - डॉ. शरद सिंह

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    1. जी शुक्रिया आदरणीया 🌷

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  4. बहुत सुंदर।

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  5. सुंदर अहसासों से सराबोर मनोहारी रचना..

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    1. शुक्रिया जिज्ञासा जी🙏

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  6. सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय ।

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    1. बहुत आभार आदणीय 🙏

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  7. बहुत सुंदर सृजन।
    सादर

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    1. धन्यवाद अनीता जी🙏

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  8. Replies
    1. शुक्रिया आदरणीय

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  9. बहुत बहुत सुदर रचना

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय

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  10. बहुत सुन्दर रचना लिकी है आपने।
    ममन की बात को सार्वजनिक करने के लिए
    शुभकामनाएँ आपको।

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    1. शुक्रिया आदरणीय

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  11. Replies
    1. जी शुक्रिया आदरणीया 🙏🌷

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अनुरोध

मेरा मन बहुत विचलित हो उठता है जब भी मैं कटे हुए पेड़ो को देखती हूं लगता है जैसे मेरा अंग किसी ने काट दिया हो बहुत ही असहनीय पीढ़ा होती हैं....