खालीपन क्या होता हैं?
ये किसी बूढ़ी मां से पूछो जो अपने बच्चों से मिलने की
आस लगाए दरवाज़े पर बैठे रास्ता निहारती रहती हैं
सोचती है क्या ये वही बच्चे हैं ?
जो हर वक्त मेरा पल्लू पकड़े
मेरे आगे पीछे मां मां बोले घूमते रहते थे
मैं एक एक निवाला लेकर उन्ही के
आगे पीछे दौड़ा करती थी
आज एक एक निवाले के मैं तरस रही हूं
ये वही बच्चे हैं जिनके लिए
मैने कई रातें जाग कर कटी हैं
बचपन में जिनकी टूटी फूटी बातों को भी
मैं बड़ी आसानी से समझ लेती थीं आज मेरे से
बात करने में भी कतराते हैं
बात बात पर चुप करा देते है
दिन भर में कितनी बार बच्चों के
धूल मिट्टी में सने कपड़े उतारती पहनाती थी
आज मेरे ही कपड़ों से इन्हें
बदबू आती हैं कई कई दिनों
एक ही कपड़े में बीत जाते हैं
ये वही बच्चे हैं जिनको घुमाने ले जाने के लिए
रोज इनके पापा से लड़ाई करती थी
आज यहीं एक कोने में पड़े पड़े
तरसती हूं बाज़ार हाट जाने के लिए
ये बच्चे कह देते हैं क्या करोगी जा के वहां
और क्या क्या बताऊं मेरे बच्चों
क्या क्या किया हैं तुम्हारे लिए
मैं बूढ़ी हो गई हूं........
अब तुमसे एक ही तम्मन्ना है मेरी
मेरे बच्चों मुझे भी आकर मिलो
दुलार करो मुझे भी एक एक निवाला
अपने हाथों से खिलाओ
मेरे भी बूढ़े जर्जर शरीर पर
कपड़े पहनाओ........
आओ मेरे पास आकर रहो
मुझसे बात करो
कब ये प्राण परिंदा उड़ जाए
पता नहीं कब मेरी आंखे बंद हो जाए..
तुम्हारी ये बूढ़ी मां कब
मिट्टी में मिल जाय पता नहीं
आओ मेरे बच्चों....... आओ
इस बूढ़ी मां का खालीपन कुछ तो कम करो....
शकुंतला
बहुत सुन्दर और मार्मिक रचना।
ReplyDeleteजी शुक्रिया आदरणीय मयंक जी 🙏🙏
Deleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(२३-०१-२०२१) को 'टीस'(चर्चा अंक-३९५५ ) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी
जी शुक्रिया आदरणीया अनीता जी
Deleteमैं ज़रूर उपस्थित रहुंगी
बेहद खूबसूरती से हृदयस्पर्शी भावों को सृजित किया है आपने आ. शकुंतला जी ! लम्बे अंतराल के बाद आपके सृजन को पढ़ कर बेहद खुशी हुई ।
ReplyDeleteजी शुक्रिया आदरणीया मीना जी बहुत आभार आपका
Deleteकाफी दिनों बाद आज फिर से कलम पकड़ी है छोटे भाई की असमय मृत्यु से दिल बड़ा ही आहत हो गया था बड़ी मुश्किल से मन को समझाने कि कोशिश कर रही हूं...
बहुत दुखद ! ईश्वर आप को संबल प्रदान करे
Deleteजी आदरणीय
Deleteबहुत दुखद ! ईश्वर आप को और आपके परिवार को संबल प्रदान करे 🙏🙏
Delete🙏🙏
Deleteक्या आसान है शब्दों में गढ़ना
ReplyDeleteया आसान है उस फ्रेम में मढ़ना
मार्मिक भावाभिव्यक्ति
जी शुक्रिया आदरणीया विभा रानी जी
Deleteबहुत ही मार्मिक रचना
ReplyDeleteशुक्रिया आदरणीय अभिलाषा जी🙏
Deleteमर्मस्पर्सी लेखन सटीक सत्य।
ReplyDeleteनिशब्द!
जी शुक्रिया आदरणीया
Deleteमार्मिक...
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी रचना...
शुक्रिया आदरणीया 🌷🌷🙏
Deleteएक अभागी माँ के जीवन का मार्मिक शब्द चित्र प्रिय शकुन्तला जी|
ReplyDeleteशुक्रिया रेनू दी
Deleteहृदयस्पर्शी कविता
ReplyDeleteशुक्रिया आदरणीय वर्षा जी
Deleteआजकल के माहौल में, जो कुछ घटित हो रहा है बुजुर्गों के साथ, उन्हीं परिदृश्यों को रेखांकित करती मर्मस्पर्शी कृति..
ReplyDeleteजी शुक्रिया आदरणीया
Deleteमन को भीतर तक छूने लेने वाली रचना |शुभ कामनाएं |
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
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