*मैं तो हूँ एक सैनिक की पत्नी
जानती हूँ वो गए हैं
करने देश की सेवा
फिर भी मन करता है
हो हर पल हर वक़्त
वो साथ सदा मेरे
दुल्हन बनें कुछ दिन भी
न गुजरे थे
तुम चल दिये फिर सरहद पर
मैं बांट जोतती की तुम आओगे
बीत गए कुछ महीने
पता चला एक नन्हा सा अंश
पल रहा है मेरे कोख़ में
इंतज़ार मुझे रहता कब आओगे
मेरे कोख़ में पल रहे अंश को
तुम कब स्पर्श करोगे....
धीरे धीरे बीत गए नौ माह
पर तुम न आए
मैं माँ-बाबूजी के साथ
हॉस्पिटल में कर रही थी
इंतजार आपका....
दर्द और हर्ष के इस पल में
मन में लिए आपके साथ की इच्छा
अंदर ही अंदर कचोट रही थीं
यही सोचते सोचते
कब मैंने दर्द को सहते हुए
नन्हें से बेटे को जन्म दे दिया
पता ही नहीं चला
उसकी सूरत देखते ही
मैं निहाल हो गई
अब......
मैं और वो दोनों कर रहे थे
आपका इंतजार
पर....
हाय!!!!ये कैसी खबर आई
माँ ने मेरे माँग का सिंदूर
हाथ की चूड़ियां
पैरों का बिछुआ
सुहाग की सब
निशानियों को मिटाने लगी
मैं आवक सी देखती रही
आँखे जैसे पथरा गई हो
कभी मुन्ने को देखती
कभी माँ को
हे ईश्वर.....
क्या केवल इतने ही दिनों का
साथ दिया था
फिर अचानक याद आया......
मैं .....तो अब हूँ
एक देशभक्त
शहीद की पत्नी**
*©®@शकुंतला
*फैज़ाबाद*
Translate
Saturday 11 August 2018
शहीद की पत्नी
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
कहाँ खो गई हो तुम
कहाँ खो गई हो तुम.... आज भी मेरी नज़रे तुम्हें तलाशती हैं....... वो मासूम सी बच्ची खो गई कही जिम्मदारियों के बोझ से , चेहरे की रौनक, आँखों की...
-
नन्हे मुन्ने कोमल, चंचल, कच्ची मिट्टी से नौनिहालों को प्रेम,नैतिकता,संस्कार, ज्ञान की भट्टी में तपा कर जीवन रूपी नदियाँ में करती हूँ प्रवाह ...
-
पथ वरण करना सरल है, पथिक बनना ही कठिन है। दुख भरी एक कहानी सुनकर, अश्रु बहाना तो सरल है। बांध कर पलकों में सावन, मुस्कुराना ही कठिन है...
-
गांव जाते ही बचपन की सारी यादें आँखों के सामने आ जाती हैं दादा दादी का प्यार,दुलार दादा जी का मेरा पैर छू कर कहना हमार राजा आ गईल आपन बहनी ...
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 13 अगस्त 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDelete🌷बहुत आभार मेरी रचना को शामिल किया आपने मैं अपनी उपस्थिति जरूर दर्ज करुँगी
Deleteमार्मिक ...
ReplyDeleteएक सैनिक की पत्नी की डायरी की तरह अओकी बेमिसाल रचना ...
नमन है देश के सैनिकों को और और उनके परिवार वालों को भी ... भावपूर्ण रचना ...
🌹 बहुत आभार
Deleteहाय!!!!ये कैसी खबर आई
ReplyDeleteमाँ ने मेरे माँग का सिंदूर
हाथ की चूड़ियां
पैरों का बिछुआ
सुहाग की सब
निशानियां मिटाने लगी...
अति मार्मिक
शुक्रिया आपको पसंद आई मेरी कविता🌹
Deleteबहुत ही बड़ा दिल चाहिए इस तरह के जज्बे के लिए | प्रिय शकु बहुत ही मर्मस्पशी लिखा आपने | सस्नेह --
ReplyDeleteधन्यवाद रेणु दी🌷🌹
Delete