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Wednesday 4 July 2018

इंद्रधनुषी हँसी

*तुम आये अधरों पर बंधी
इंद्रधनुषी हँसी
खिल गई, गालों पर
खिलाकर टेसू के फूल
साँसों में महुए की
महक घोल गए
प्रणय निवेदन नज़रों से
छलका कर
कंगन की खनक के बीच
बोल गए प्रेम गीत कानों में
इश्क का टीका लगाकर
माथे पर
चन्दन की खुशबू छोड़ गए
धानी चूनर धो गए
तुम आये अधरों पर बंधी
इंद्रधनुषी हंसी
खोल गए
CR@शकुंतला
      फैज़ाबाद*

25 comments:

  1. वाह वाह उम्दा दीदी

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  2. शुक्रिया प्रिय अनुजा

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  3. बहुत सुंदर रचना

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    1. साहृदय धन्यवाद

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  4. चन्दन की खुशबू छोड़ गए
    धानी चूनर धो गए
    तुम आये अधरों पर बंधी
    इंद्रधनुषी हंसी
    खोल गए... वाह बहुत सुंदर रचना

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    1. बहुत शुक्रिया अनुराधा जी

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  5. वाह वाह आदरणीया
    बेहद खूबसूरत लाजवाब रचना 👌

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    1. शुक्रिया आँचल जी

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  6. Replies
    1. बहुत शुक्रिया लोकेश जी

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  7. नमस्ते,
    आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
    ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
    गुरुवार 5 जुलाई 2018 को प्रकाशनार्थ 1084 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।

    प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
    चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
    सधन्यवाद।

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    1. बहुत बहुत आभार रविन्द्र जी आपको मेरी इंद्रधनुषी हँसी पसन्द आई

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  8. वाह!!बहुत खूबसूरत रचना।

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  9. वाह्ह...बेहद खूबसूरत शब्दों में गूँथी खुशबूदार रचना शकुंतला जी। बहुत सुंदर👌

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    1. शुक्रिया स्वेता जी

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  10. क्या खूब एहसास पिरोये आप ने। मन को भा गई आप की रचना। कमी निकालने के लिए कोई स्थान नहीं रखा ।

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  11. खूबसूरत इंद्रधनुषी रचना आदरणीया..

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    1. 🌺🌻धन्यवाद पम्मी जी

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  12. कोमल एहसासों की सुन्दर अभिव्यक्ति।

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    1. धन्यवाद राकेश जी🌷

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अनुरोध

मेरा मन बहुत विचलित हो उठता है जब भी मैं कटे हुए पेड़ो को देखती हूं लगता है जैसे मेरा अंग किसी ने काट दिया हो बहुत ही असहनीय पीढ़ा होती हैं....