माँ तुम तो थी ममता की मूरत
आज क्यों हो गई माँ तुम हृदय हीन
रखा था जिसे अपनी कोख में नौ माह
आज क्यों किया दूर अपनी गोद से
दर्द सह कर जन्म दिया फिर आज क्यों न हुआ
तनिक सा भी दर्द खुद से कर दिया जुदा
जिस छाती का अमृत पिलाया
आज उसी सीने से दूर कर दिया
क्यों माँ तुझे मेरा मासूम सा चेहरा प्यारा नही
जो कर दिया आज खुद से किनारा
ऐसी क्या थी तेरी मज़बूरी जो छोड़ दिया
या मैं ही बन गई मजबूरी तेरी
क्या लड़की होना अभिशाप हैं मेरा
तू भी तो हैं माँ लड़की किसी की
सुना है माता नही होती कुमाता
कहीं कलयुग का तुझ पे असर तो नही
छोड़ गई माँ तुम मुझे इस अनजान शहर में
क्यो हो गई माँ तुम हृदय हीन
©®@शकुंतला
फैज़ाबाद
आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग पर 'सोमवार' ०८ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
ReplyDeleteध्रुव जी आपको मेरी यह नन्ही सी कोशिश पसन्द आई मेरी लेखिनी धन्य हो गई
Deleteआपका बहुत आभार आपने मेरी रचना को अपने ब्लॉग में इतना सम्मान दिया
वाह्ह्ह हृदय को छूने वाली रचना और संवेदना से परिपूर्ण।
ReplyDeleteशुक्रिया प्रकाश जी
Deleteलाजवाब
ReplyDeleteशुक्रिया प्रिय नीतू जी
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए बड़े हर्ष का अनुभव हो रहा है कि ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग 'मंगलवार' ९ जनवरी २०१८ को ब्लॉग जगत के श्रेष्ठ लेखकों की पुरानी रचनाओं के लिंकों का संकलन प्रस्तुत करने जा रहा है। इसका उद्देश्य पूर्णतः निस्वार्थ व नये रचनाकारों का परिचय पुराने रचनाकारों से करवाना ताकि भावी रचनाकारों का मार्गदर्शन हो सके। इस उद्देश्य में आपके सफल योगदान की कामना करता हूँ। इस प्रकार के आयोजन की यह प्रथम कड़ी है ,यह प्रयास आगे भी जारी रहेगा। आप सभी सादर आमंत्रित हैं ! "लोकतंत्र" ब्लॉग आपका हार्दिक स्वागत करता है। आभार "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार बधाई हो
Deleteप्रिय शकु -- माँ द्वारा परित्यक्त बेटी की पीड़ा को बहुत मर्मस्पर्शी भावों से सजा शब्द दिए आपने | माँ भी किसी की बेटी होती है पर वह ये बात भूल जाती है कि बेटी को भी उसकी उतनी जरूरत है जितनी कभी माँ को अपनी माँ की थी --
ReplyDeleteप्रिय रेणु जी बहुत आभार आपको मेरी रचना पसंद आई
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