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Wednesday 31 January 2018

दिल में बसाए रहिये

इश्क की आग से दामन को बचाये रहिये
ये तो वो खुशबू हैं इसे तन मन में बसाये रखिये

उठाते हैं प्यार में जो नफ़रत की दीवारें
आप उस दीवार को हमेशा गिराते रहिये

यूँ तो हर शख्स बदल लेता है चेहरा अपना
पर अपने चेहरे की मासूमियत यूँही बनाये रहिये

कौन होता हैं बुरे वक़्त में हाला-शरीक
पर भरोसा किसी एक इंसान पे बनाये रखिये

ग़म की आग में जलना ही मुहब्बत हैं यहां
फिर भी एक शय में इक वफ़ा की शमा जलाये रखिये

न तो शिकवा न कोई गिला हैं तुमसे
इल्तिज़ा इतनी हैं बस अपने दिल में बसाये रहिये
©®@ शकुंतला
           फैज़ाबाद
         

25 comments:

  1. वाह महकते भावों वाली कोमल रचना इश्क की तरफदारी।

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  2. यूँ तो हर शख्स बदल लेता है चेहरा अपना
    पर अपने चेहरे की मासूमियत यूँही बनाये रहिये==
    बहुत खूब --प्रिय शकू -- बहुत अच्छी रचना -- मेरी शुभकामना --

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    1. शुक्रिया रेणु जी आपकी मेरी रचना पसंद आई

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  3. कौन होता हैं बुरे वक़्त में हाला-शरीक
    पर भरोसा किसी एक इंसान पे बनाये रखिये...
    यही तो जिन्दगी है👌👌

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    1. बहुत आभार पुरुषोत्तम जी

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  4. वाहह्ह्ह्
    बहुत उम्दा

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    1. शुक्रिया लोकेश जी

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  5. उठाते हैं प्यार में जो नफ़रत की दीवारें
    आप उस दीवार को हमेशा गिराते रहिये
    अति सुन्दर.... लाजवाब....
    वाह!!!

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    1. बहुत बहुत आभार दी

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  6. वाह !!! बहुत उम्दा

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    1. शुक्रिया प्रिय नीतू जी

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  7. वाह
    बहुत खूब
    बधाई

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  8. बहुत आभार राकेश जी

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  9. Replies
    1. शुक्रिया रितु जी

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  10. Replies
    1. शुक्रिया मीना जी

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  11. बहुत सुंदर कोमल भावों से सजी रचना..

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    1. बहुत आभार पम्मी जी

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  12. उम्मीद की एक किरण ही काफी होती है हौसले के लिए
    बहुत सुन्दर रचना

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    1. जी बहुत आभार कविता जी

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  13. बहुत खूब

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अनुरोध

मेरा मन बहुत विचलित हो उठता है जब भी मैं कटे हुए पेड़ो को देखती हूं लगता है जैसे मेरा अंग किसी ने काट दिया हो बहुत ही असहनीय पीढ़ा होती हैं....