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Friday 1 January 2021

नानी का लालटेन

बहुत दिन बाद आज जब मैं
अपने ननिहाल गई तो
आज भी खूंटी पर टांगा 
वो लालटेन देखा
जिसे नाना जी बड़े ही
प्यार से लाए थे नानी के लिए
कहते थे तुम्हारी आंखे
खराब हो जायेंगी चिराग़ से
लो ये देखों मैं तुम्हारे लिए
लालटेन लाया हूं
अब नहीं दुखेंगी तुम्हारी आंखे
आज नानी उसी लालटेन को
बड़े ही प्यार से साफ कर
रोशन करती हैं अपना घर
आंगन और मन भी 
नानाजी की यादों के साथ
शकुंतला अयोध्या ( फैज़ाबाद)

18 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना

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    1. शुक्रिया आदरणीय

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १८ दिसंबर २०२० के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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    Replies
    1. जी शुक्रिया आदरणीया मैं ज़रूर उपस्थित रहुंगी

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  3. हृदय स्पर्शी सृजन।
    सादर

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    1. शुक्रिया आदरणीय

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  4. सहजता से मन को छूती रचना..।

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    1. शुक्रिया जिज्ञासा जी

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  5. वर्षों पुराणी यादें ताज़ी हो गई
    बत्ती का धुआँ सारे घर को काला कर देता था लेकिन लालटेन की रौशनी का क्या कहने,
    नाना की यादें सहेजे हैं नानी ने लालटेन में

    बहुत अच्छी प्रस्तुति

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    1. बहुत आभार आदरणीया

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  6. प्रिय शकुंतला जी, आपका ये भावपूर्ण काव्य चित्र भावुक करने वाला है। शब्दों में नाना- नानी की
    अनकही कहानी सहजता से साकार हो जाती है।
    यादों की लालटेन और प्रेम की रोशनी मन को छू जाती है। इस सुंदर रचना के लिए हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई🙏 ❤🌹❤❤

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद दी आपकी प्रतिक्रिया से मन लिखने को प्रेरित होता हैं 🙏🌷💖

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  7. हृदय स्पर्शी सृजन।

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    1. धन्यवाद संजय जी 🌼

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  8. मन को भावुक कर देने वाली रचना |

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    1. शुक्रिया आलोक जी

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अनुरोध

मेरा मन बहुत विचलित हो उठता है जब भी मैं कटे हुए पेड़ो को देखती हूं लगता है जैसे मेरा अंग किसी ने काट दिया हो बहुत ही असहनीय पीढ़ा होती हैं....